हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद कई तरह के संस्कार निभाए जाते हैं और उनका भी पालन करना जरूरी माना जाता है। कई बार हमारे मन में ऐसे कई सवाल आते हैं जो सोचने के लिए मजबूर कर देते हैं कि आखिर इसकी वजह क्या हो सकती है। ऐसे ही आप में से कई लोगों के मन में यह सवाल भी जरूर आया होगा कि आखिर अंतिम संस्कार के बाद शरीर का क्या होता है? आखिर शरीर का ऐसा कौन सा हिस्सा है जो अग्नि में भी जलता नहीं है और पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। ऐसा कहा जाता है कि मानव शरीर मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के बाद मिट्टी में मिल जाता है।
दरअसल यह पूरी तरह से सत्य भी नहीं है क्योंकि शरीर के कुछ हिस्से अग्नि में भी जलते नहीं हैं। ऐसा कहा जाता है कि अग्नि किसी भी तत्व को नष्ट करने में सक्षम है। हालांकि अंतिम संस्कार के दौरान अग्नि की प्रचंड शक्ति दाह संस्कार के दौरान काफी समय बाद मानव कंकाल को भी जलाती है। लेकिन आइए जानें इसके बारे में विस्तार से कि शरीर के कौन से हिस्से अग्नि में जलते नहीं हैं।
अंतिम संस्कार के बाद शरीर का कौन सा हिस्सा नहीं जलता है?
ऐसा माना जाता है कि जब किसी मृत व्यक्ति के शरीर का दहन किया जाता है तो उसकी चिता में सबसे पहले दांतों के सबसे कोमल ऊतक जलते हैं, वहीं दांतों के ही सबसे कठोर ऊतक जिन्हें इनेमल कहा जाता है वह जलने से बच जाते हैं। ऐसे ही अग्नि में दांतों के साथ-साथ हड्डियां भी नहीं जल पाती हैं।
इसी वजह से अंतिम संस्कार के बाद मृतक के परिजन जले हुए शरीर की राख से हड्डियों को अलग करने के बाद उन्हें गंगा जी में प्रवाहित करते हैं। दरअसल ऐसा माना जाता है कि शरीर के इन हिस्सों को जलाने के लिए बहुत अधिक तापमान की जरूरत होती है और सामान्य तापमान में यह हिस्से नहीं जल पाते हैं, इसी वजह से संपूर्ण शरीर के जलने पर भी दांत और हड्डियां सुरक्षित बचती हैं।
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हिंदू धर्म में क्यों किया जाता है दाह संस्कार
हिंदू धर्म में मान्यता है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार किया जाता है। हिंदू धर्म में दाह संस्कार एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है, जिसमें मृत व्यक्ति के शरीर को अग्नि में जलाया जाता है। यह प्रक्रिया आत्मा की मुक्ति और पुनर्जन्म के चक्र को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी मानी जाती है।
हिंदू धर्म में दाह संस्कार का उद्देश्य आत्मा को शरीर से मुक्त करना होता है, जिससे वह अपने कर्मों के अनुसार अगले जन्म में प्रवेश कर सके। अग्नि में जलने से शरीर के तत्व अपने मूल रूप में वापस चले जाते हैं और आत्मा को आगे की यात्रा के लिए मुक्त किया जाता है। दाह संस्कार के दौरान विभिन्न मंत्रों और अनुष्ठानों का पालन भी किया जाता है, जिससे मृतक को आत्मा को शांति मिल सके।
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दाह संस्कार के दौरान नहीं जलती हैं ये चीजें
शरीर के कुछ हिस्सों के अलावा यदि मृतक ने धातु की कोई भी चीज जैसे अंगूठी, ब्रेसलेट या लॉकेट पहना होता है, तो वो भी अग्नि में नहीं जलता है। धातु या अन्य गैर-ज्वलनशील सामग्रियों से बने प्रोस्थेटिक्स अंतिम संस्कार की उच्च गर्मी से प्रभावित नहीं होते हैं। इसके बजाय, वे हमेश अच्छे बने रहते हैं और दाह संस्कार के बाद भी बची राख में दिखाई दे सकते हैं।
दाह संस्कार के बाद धातु के टुकड़ों को हड्डी के टुकड़ों से अलग करने के लिए एक शक्तिशाली चुंबक का उपयोग भी किया जा सकता है। आमतौर पर मृतक के दाह संस्कार के बाद यदि कोई भी धातु या उससे बना सामान मृतक के परिजनों को सौंप दिया जाता है।
अंतिम संस्कार से जुड़ी कई बातें हैं जिनका अलग महत्व है। हम सभी इस बात के बारे में भी जरूर जानना चाहते हैं कि शरीर के अग्नि में जलने के बाद कौन सा हिस्सा सुरक्षित रहता है और क्यों।
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