कन्या पूजन के बाद कलश का क्या करें? इन नियमों से करें पूजा का समापन

Kanya pujan ke baad kalash ka kya karen: नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है। ऐसे में, आज हम आपको बताएंगे कि कन्या पूजन के बाद कलश का क्या करना चाहिए और इसे किस विधि से हटाया जाता है।
What To Do With Kalash

What To Do With Kalash: हिंदू धर्म का विशेष त्योहार शारदीय नवरात्रि अब समाप्त होने वाले हैं। इसकी शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है। माता के आगे कलश रखकर इसकी नौ दिनों तक विधि अनुसार कलश की पूज-अर्चना की जाती है। वहीं नवरात्रि के आखिर में यानी अष्टमी या नवमी की कन्या पूजन के बाद उस कलश का क्या करना चाहिए, अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है। इस तरह के प्रश्न अगर आपके मन में भी आ रहे हैं, तो आपको इसका उत्तर जानने के लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। चलिए ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानते हैं कि कन्या पूजन के बाद कलश का क्या करना चाहिए।

कन्या पूजन के बाद कलश का क्या करें?

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नवरात्रि के दौरान अगर घट स्थापना न की जाए तो नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है। नवरात्रि का समापन कन्या पूजन के साथ होता है। इसके बाद, कलश को चौकी से हटा दिया जाता है। इसके लिए सबसे पहले आपको कलश के ऊपर रखे नारियल की चुनरी को अलग करके उसे किसी पवित्र नदी या तालाब में प्रवाहित कर देना है। ऐसा आपको दशमी वाले दिन करना होता है। इसके साथ-साथ उसी दिन कलश और उसके अंदर के पानी को भी विसर्जन कर देना चाहिए। हालांकि, उससे पहले कलश के पानी का पूरे घर में छिड़काव कर दें। इससे नकारात्मकता दूर होती है। कलश के ऊपर रखे नारियल को अपने घर के किसी पुरुष से छिलवाकर और उसका प्रसाद कन्याओं में बाटें। हालांकि, कुछ लोग अपने घर की तिजोरी में भी नारियल को प्रसाद के रूप में रख लेते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से मां की विशेष कृपा बरसती है।

नवरात्रि में कलश का विसर्जन कब करना चाहिए?

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नवरात्रि के 9 दिन पूरे होने के बाद ही कलश और पूजा की अन्य सामग्रियों को स्थान से हटाकर उनका विसर्जन करना चाहिए। इन्हें हटाने के बाद इनका विसर्जन सही विधि से करना जरूरी होता है। इस बात का खास ख्याल रखें कि कलश विसर्जन हमेशा कन्या पूजन के बाद ही करना चाहिए।

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कलश विसर्जन की सही विधि क्या है?

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नवमी तिथि को कन्या पूजन के बाद ही आप कलश का विसर्जन कर सकते हैं। इसकी अपनी पूरी विधि बताई गई है। सबसे पहले सारी पूजन सामग्री को एक साफ कपड़े या थैले में बांधे लें। इसके बाद कलश के ऊपर रखे नारियल और चुनरी को अलग-अलग कर लें। फिर, दशमी के दिन कलश को किसी भी पवित्र जगह पर बहते जल में प्रवाहित कर दें।

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Image credit- Herzindagi


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