
नवरात्रि का पर्व हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो माता दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दौरान भक्तजन माता की भक्ति में लीन रहते हैं और श्रद्धा से माता के स्वरूपों का पूजन करते हैं। यह पर्व आश्विन प्रतिपदा से शुरू होकर दशहरा तक मनाया जाता है और पूरे 10 दिनों तक माता के जयकारों को गूंज बनी रहती है। इस दौरान नौ दिनों तक माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है और दसवें दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दौरान जितना खास पूजा-पाठ करना होता है उतना ही कन्या पूजन करना भी होता है। आमतौर पर कन्या पूजन अष्टमी या नवमी तिथि को होता है और इसका विशेष महत्व होता है क्योंकि इस दौरान छोटी कन्याओं का देवी के रूप में पूजन किया जाता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कन्या पूजन की सही विधि, नियम और अन्य जानकारी के बारे में।
हिंदू संस्कृति में कन्या पूजन का अत्यधिक महत्व है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह दिव्य स्त्री शक्ति के प्रति श्रद्धा का प्रतिनिधित्व करता है। नवरात्रि के दौरान, भक्त आठ दिनों तक उपवास करते हैं और नवमी तिथि के दिन नौ कन्याओं को माता के विभिन्न स्वरूपों का प्रतीक मानकर पूजन करते हैं। यह पूजन कुछ लोग अष्टमी तिथि को भी करते हैं। यह अनुष्ठान माता दुर्गा के सम्मान का प्रतीक माना जाता है और इसे भक्ति भाव से करने से समृद्धि, स्वास्थ्य और बुरी ताकतों से सुरक्षा के लिए उनका आशीर्वाद मांगने के लिए किया जाता है। कन्या पूजन को नवरात्रि का एक अनिवार्य हिस्सा माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस अनुष्ठान को भक्ति और ईमानदारी से करने से व्यक्ति जीवन से सभी नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं को दूर कर सकता है। इसके अतिरिक्त यह शांति, सफलता और इच्छाओं की पूर्ति लाने वाला अनुष्ठान भी माना जाता है।

कन्या पूजन करने से पहले सभी आवश्यक सामग्रियां जुटा लेना जरूरी होता है, जिससे पूजन में कोई बाधा न आए। आइए, जानें कन्या पूजन की सामग्री के बारे में-
कन्या पूजन के लिए आपको सबसे पहले जिस स्थान पर पूजन करना है उसे अच्छी तरह से साफ़ आकर लेना चाहिए और आप चाहें तो उस स्थान को रंगोली से सजा सकती हैं।
जिस स्थान पर कन्याओं को बैठाना है वहां फर्श पर एक साफ चटाई या कपड़ा बिछाएं। सुनिश्चित करें कि अनुष्ठान के दौरान सभी सामग्री ठीक से व्यवस्थित हो और आसानी से उपलब्ध हो।
परंपरागत रूप से, कन्या पूजन के लि एनौ कन्याओं और एक लंगूर यानी लड़के को आमंत्रित किया जाता है, लेकिन यदि नौ कन्याएं न मिलें तो आप 5 या 7 कन्याओं को भी भोजन करा सकते हैं।

कन्या पूजन का मुख्य हिस्सा लड़कियों को पूड़ी, चना और हलवा का पारंपरिक भोजन खिलाना है। जब आप कन्याओं को भोजन करा रहे हैं तो उन्हें श्रद्धापूर्वक भोजन परोसें, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अनुष्ठान के दौरान कन्याओं को देवी का अवतार माना जाता है।
प्रसाद में हलवा खीर और चने जरूर परोसें। सभी कन्याओं को भोजन कराने के बाद उनके चरणों का स्पर्श करके आशीर्वाद लेना फलदायी होता है और उसके बाद उन्हें उपहार और दक्षिणा दें।
दक्षिणा को कन्याओं के लिए भोजन के बाद, कृतज्ञता और सम्मान के संकेत के रूप में देखा जाता है।
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कन्या पूजन करते समय आपको कुछ नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे पूजन का पूर्ण फल मिले।
यदि आप घर में कन्या पूजन करते हैं तो यहां बताई बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें जिससे जीवन में समृद्धि बनी रहती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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