Vaishakh Month 2025 Date: कब से शुरू है वैशाख का महीना? जानें महत्व और नियम

वैशाख माह हिंदू कैलेंडर का दूसरा महीना है और इसे धर्म, भक्ति और तप का प्रतीक कहा गया है। वैशाख माह में भगवान श्रीकृष्ण की आराधना का विशेष फल मिलता है।
vaishakh month 2025 end date

बात वैशाख माह की होती है, तो इसे अत्यंत पुण्यदायी और शुभ माना जाता है। यह हिंदू कैलेंडर का दूसरा महीना है और इसे धर्म, भक्ति और तप का प्रतीक कहा गया है। वैशाख माह में भगवान श्रीकृष्ण की आराधना का विशेष फल मिलता है, साथ ही भगवान विष्णु को भी यह महीना अत्यंत प्रिय माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस पावन माह में पवित्र नदियों में स्नान, जप, तप और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

ऐसा पुण्य न कभी क्षय होता है और न ही इसका फल समाप्त होता है। इस माह में विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु और भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्त इस पूरे महीने धार्मिक आचरण, व्रत और सेवा में लीन रहते हैं। इस लेख में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से हम जानेंगे कि वैशाख माह इस साल कब से आरंभ हो रहा है, क्या है इस माह का महत्व और इस माह में पालन किए जाने वाले नियम।

वैशाख माह 2025 कब से शुरू है?

vaishakh month 2025 ke niyam

इस वर्ष वैशाख मास की शुरुआत 14 अप्रैल से हो रही है और यह 13 मई 2025 तक चलेगा। वैशाख माह का नाम विशाखा नक्षत्र से जुड़ा हुआ है, जिस कारण इसे 'वैशाख' कहा जाता है। धार्मिक ग्रंथ स्कंद पुराण में इस मास को पुण्य अर्जित करने वाला बताया गया है और इसे ‘माधव मास’ की संज्ञा दी गई है, जो भगवान श्री कृष्ण के एक दिव्य नाम का प्रतीक है। यह महीना धर्म, दान और भक्ति के लिए अत्यंत उपयुक्त माना गया है और इसका आध्यात्मिक महत्व अपार है।

यह भी पढ़ें:Vaishakh Month 2025 Daan: वैशाख माह में जरूर करें इन 4 चीजों का दान, हो सकता है भाग्योदय

वैशाख माह 2025 का यह नाम कैसे पड़ा?

वैशाख माह का नामकरण विशाखा नक्षत्र से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे वैशाख माह कहा जाता है। विशाखा नक्षत्र के स्वामी देवगुरु बृहस्पति माने जाते हैं, जबकि इसके अधिदेवता इंद्र देव हैं। इसी वजह से इस माह में स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास में किए गए पुण्य कार्य विशेषकर दान का फल अक्षय होता है, अर्थात यह पुण्य कभी समाप्त नहीं होता। यही कारण है कि यह महीना आध्यात्मिक साधना और धर्म-कर्म के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।

vaishakh month 2025 ka mahatva

वैशाख माह 2025 का क्या महत्व है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख माह की विशेषता यह है कि इसके अधिपति भगवान विष्णु माने गए हैं और इस पूरे महीने उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्तों का उपयोग अत्यंत आवश्यक और शुभ माना गया है। इस पावन माह में भगवान श्रीकृष्ण और भगवान परशुराम की आराधना का भी विशेष विधान है।

साथ ही, श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है, जिससे व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान और शांति की प्राप्ति होती है। वैशाख मास का एक और खास पक्ष यह है कि इस दौरान वृंदावन में स्थित श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं, जो भक्तों के लिए अत्यंत दुर्लभ और शुभ अवसर माना जाता है। इस प्रकार, धार्मिक दृष्टि से वैशाख माह अत्यंत महत्वपूर्ण और पुण्यदायी होता है।

यह भी पढ़ें:Vaishakh Month 2025 : वैशाख माह में किस पेड़ की पूजा करने से हो सकती है मोक्ष प्राप्ति? जानें नियम और महत्व

वैशाख माह 2025 के क्या नियम हैं?

वैशाख महीने में राहगीरों को शीतल जल पिलाना, प्याऊ लगवाना और रसीले फलों का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस पवित्र माह में जल का दान करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दोष दूर हो जाते हैं, और उसके जीवन में सुख-शांति तथा खुशियों का आगमन होता है। वैशाख मास में किया गया दान इतना फलदायी होता है कि इसे पूरे वर्ष तक किए गए दान के बराबर माना गया है। इस कारण भक्तजन इस महीने में सेवा, परोपकार और दान-पुण्य के कार्यों में विशेष रूप से संलग्न रहते हैं।

वैशाख माह में तेज गर्मी अपने चरम पर होती है, ऐसे में यह समय न सिर्फ मानव सेवा, बल्कि पशु-पक्षियों की सेवा का भी होता है। इस महीने में पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना, पेड़ों को पानी देना और प्रकृति की देखभाल करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। साथ ही, छाता, जूते-चप्पल, सत्तू और ठंडी चीजों का दान करना भी विशेष फल देने वाला होता है। मान्यता है कि इन सेवाभावों और दान कार्यों से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और धन की बरकत बनी रहती है।

वैशाख माह में संयमित जीवनशैली अपनाने की सलाह दी जाती है। इस पवित्र महीने में तला-भुना और मसालेदार भोजन त्यागना चाहिए, क्योंकि यह सेहत पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। स्वास्थ्य और आत्मशुद्धि के दृष्टिकोण से एक समय भोजन करना उत्तम माना गया है। साथ ही, शरीर पर नया तेल लगाने से भी परहेज करना चाहिए। धार्मिक अनुशासन के अनुसार, इस माह में जमीन पर सोना चाहिए, जिससे शरीर में विनम्रता और साधना के प्रति समर्पण की भावना उत्पन्न होती है। यह सब आचार-व्यवहार वैशाख के माह को और भी पुण्यकारी बनाते हैं।

vaishakh month 2025 ki end date

वैशाख महीने में भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने का महत्व बताया गया है। इस दौरान प्रतिदिन विष्णु जी को स्नान कराना, तुलसी दल अर्पित करना और सत्तू व तिल का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस माह में भगवान ब्रह्मा ने तिलों की उत्पत्ति की थी, इसलिए इस महीने तिल का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है। तिल न केवल पूजा-पाठ में उपयोगी हैं, बल्कि यह पवित्रता और पुण्य का प्रतीक भी माने जाते हैं।

वैशाख माह में भगवान विष्णु की पूजा करते समय प्रतिदिन 'ॐ माधवाय नमः' मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस पवित्र महीने में कांस्य के पात्र में भोजन करना, गर्म पानी से स्नान करना और संयमित दिनचर्या अपनाना शुभ होता है। खासतौर पर देर रात भोजन करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह न केवल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि जीवन में सफलता और सकारात्मक ऊर्जा पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ऐसे अनुशासित आचरण से शरीर, मन और आत्मा तीनों की शुद्धि होती है।

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP