
(Utpanna Ekadashi Vrat Katha 2023) हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि दिनांक 08 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है।
इस दिन व्रत रखने से और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति के सभी काम सिद्ध हो सकते हैं। साथ ही जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। बता दें, उत्पन्ना एकादशी पर दुर्लभ संयोग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से आय और भाग्य में अपार सफलता मिलती है। इस दिन व्रती को कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। जिससे शुभ परिणाम मिल सके।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

ज्योतिषियों के अनुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दिन भर है और देर रात 12:05 मिनट पर समापन होगा। इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा। इस योग में भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) की पूजा करने से आय, सुख, भाग्य और धन में वृद्धि होती है और सभी कार्य सिद्ध हो सकते हैं।
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सभी एकादशी में उत्पन्ना एकादशी का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन एकादशी की उत्पत्ती हुई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में मुर नाम का एक दैत्य था। जिसने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था। जिसके कारण भगवान विष्णु ने 1000 वर्ष तक उस दैत्य से युद्ध किया था, लेकिन वो दैत्य मरा नहीं। युद्ध करने के बाद भगवान विष्णु हिमालय पर्वत चले गए और वो दैत्य उनके पीछे-पीछे हिमालय पर्वत तक चला गया।
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एक दिन जब भगवान विष्णु विश्राम कर रहे थे। तब उस दैत्य ने उनका वध करने का प्रयास किया। तभी उसी समय एक देवी ने अवतार लिया और उस राक्षस का वध कर दिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने उस देवी से कहा कि आप एकादशी के दिन उत्पन्न हुए हो, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाएगा।
ऐसी मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी के प्रभाव से जातकों को अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। व्रत के दिन दान करने से लाख गुना वृद्धि के फल की प्राप्ति होती है और इस दिन दान करने से माता लक्ष्मी (मां लक्ष्मी मंत्र) बेहद प्रसन्न होती हैं। साथ ही जीवन में धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होती है।
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