
भारतीय संस्कृति में धातुएं केवल भौतिक पदार्थ नहीं होती हैं बल्कि वो ऊर्जा का स्रोत भी मानी जाती हैं। हर धातु किसी ग्रह की ऊर्जा को धारण और प्रसारित करती है। ऐसे ही एक धातु है तांबा जो सूर्य और मंगल का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसा माना जाता है कि यदि आप तांबे का सिक्का जल या नदी में प्रवाहित करती हैं तो आपको इसके कई लाभ मिल सकते हैं। तांबे का सिक्का ज्योतिष और पारंपरिक मान्यताओं में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्राचीन काल से ही तांबे को शुद्धता, ऊर्जा संतुलन और ग्रहों की अनुकूलता का प्रतीक माना गया है। विशेष रूप से जब तांबे के सिक्के को बहते जल में प्रवाहित किया जाता है, तो यह एक शक्तिशाली ज्योतिषीय उपाय के रूप में काम करता है। ऐसा माना जाता है कि जल में तांबे का प्रवाह नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है। यही नहीं इससे कई ग्रह दोष भी दूर होते हैं। आइए एस्ट्रोलॉजर सिद्धार्थ एस कुमार से जानें तांबे के सिक्के को जल में प्रवाहित करने के लाभ क्या हैं।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, आत्मविश्वास और प्रतिष्ठा का कारक ग्रह कहा गया है। मान्यता है कि तांबे की धातु सूर्य की किरणों को धारण करने की क्षमता रखती है। जब तांबे का सिक्का जल में प्रवाह किया जाता है, तो यह सूर्य की ऊर्जा को प्राकृतिक तत्व जल के माध्यम से ब्रह्मांड में संतुलित करता है, जिससे व्यक्ति के भीतर का तेज और आत्मबल पुनर्जीवित होता है। इसी वजह से ऐसा माना जाता है कि तांबे का सिक्का जल में प्रवाहित करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और जीवन में समृद्धि बनी रहती है।

ज्योतिष की मानें तो मंगल ग्रह तांबा धातु से विशेष रूप से जुड़ा होता है। तांबे का जल प्रवाह मंगल दोष, क्रोध और जीवन की संघर्षपूर्ण स्थितियों को शांत करता है। यह व्यक्ति के कर्म में स्थिरता लाता है और निर्णय की शक्ति प्रदान करता है। इसी वजह से जब आप तांबे का सिक्का जल में प्रवाहित करती हैं तो मंगल को मजबूत करने में मदद मिलती है।
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यदि कुंडली में सूर्य या मंगल कमजोर, अस्त या पाप प्रभाव में हों, तो व्यक्ति को आत्मविश्वास की कमी, तनाव या विवादों का सामना करना पड़ सकता है।
तांबे का सिक्का जल में प्रवाह करने से ये दोष कम होते हैं और साहस, सम्मान और ऊर्जा में वृद्धि होती है। यही नहीं तांबे का सिक्का जल में अर्पित करने से पितृ दोष, अतीत के ऋण और नकारात्मक कर्म ऊर्जा भी शांत होती है।
यह आत्मा को हल्का और मन को स्थिर करता है।
सूर्य और मंगल धन अर्जन, कार्यक्षमता और स्वास्थ्य से जुड़े ग्रह हैं। उनकी अनुकूलता से आर्थिक स्थिति सुधरती है, आत्मविश्वास बढ़ता है और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह सशक्त होता है। तांबे के सिक्के का जल प्रवाह मन और आत्मा दोनों को संतुलित करता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिन्हें क्रोध, थकान या निर्णय अस्थिरता की समस्या होती है।

तांबे के सिक्के को जल में प्रवाहित करने के लिए रविवार या मंगलवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है।
सूर्योदय के बाद स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। एक छोटा तांबे का सिक्का या टुकड़ा लें।
उसे अपने दाहिने हाथ में लेकर यह मंत्र बोलें-ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ अंगारकाय नमः” अब उसे किसी बहते जल जैसे नदी, नहर, या स्वच्छ धारा में अर्पित करें।
यदि आप यहां बताया तांबे के सिक्के से जुड़ा उपाय करती हैं तो मंगल और सूर्य मजबूत होने के साथ जीवन में समृद्धि के भी योग बनते हैं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसे ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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