(story behind why did king janak chose his daughter name sita) हिंदू धर्म में मां सीता अत्यंत पूजनीय मानी जाती हैं। मां सीता को शक्ति, साहस और पवित्रता की देवी के रूप में भी पूजा जाता है। मां सीता त्याग, पतिव्रता, साहस और पवित्रता की प्रतीक हैं। माता सीता महाकाव्य रामायण की मुख्य पात्र भी हैं। मां सता का जन्म मिथिला के राजा जनक और रानी सुनयना के घर हुआ था। उनकी उत्पत्ति पृथ्वी से हुई थी, इसलिए उन्हें "भूमिजा" भी कहा जाता है। मां सीता भारतीय संस्कृति में महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं। अब ऐसे में सवाल है कि राजा जनक ने अपनी पुत्री का नाम सीता ही क्यों रखा। आइए इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
राजा जनक ने अपनी पुत्री का नाम क्यों रखा सीता?
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा जनक को अपनी पुत्री सीता, साती नामक किसान क्षेत्र में हल चलाते हुए प्राप्ति हुईं थीं। बता दें, सीता शब्द खेत में चलाने से बनी खांच को दर्शाता है। वहीं माता सीता का नाम शीतल और शीलवान शब्दों से भी जुड़ा हुआ है। राजा जनक ने अपनी पुत्री के शीतला और शांत जैसे गुणों को देखकर उनका नाम सीता रखा।
मां सीता हैं देवी लक्ष्मी का रूप
मान्यता के अनुसार, राजा जनक को मां सीता देवी लक्ष्मी के रूप में दिखाई दी थीं। इसलिए उन्होंने अपनी पुत्री का नाम सीता रखा। इतना ही नहीं मां सीता को जानकी और भूमिजा भी कहा जाता है। जानकी नाम राजा जनक से जुड़ा है। जबकि भूमिजा नाम सीता मां के भूमि से उत्पन्न होने का प्रतीक है।
मां सीता हैं महिला सशक्तिकरण का प्रतीक
सीता का जन्म वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था, जिसे "सीता नवमी" के रूप में मनाया जाता है। सीता को "जनकपुत्री", "वैदेही", "भूमिजा", "लक्ष्मीस्वरूपा" और "सावित्री" जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। सीता का अपहरण और रावण के साथ युद्ध हिन्दू महाकाव्य रामायण की मुख्य कथा है।
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मां सीता हैं वीरता का प्रतीक
मां सीता वीरता का प्रतीक हैं। उन्होंने रावण के बंदीवास में रहते हुए भी अपनी वीरता और बुद्धि का परिचय दिया।
मां सीता हैं मातृत्व का प्रतीक
मां सीता ने अपने पुत्र लव और कुश को शिक्षा और संस्कार दिए।
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मां सीता हैं भक्ति की परिभाषा
माता सीता भगवान श्रीराम की परम भक्त थीं और उन्होंने अपने जीवन में सदैव उनका पालन किया।
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