गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर चंद्रमा को देखना वर्जित माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति पर मिथ्या कलंक लगता है। गणेश चतुर्थी पर अगर कोई चंद्रमा को देखता है उस व्यक्ति के जीवन में संकट बढ़ जाते हैं, लेकिन क्या 10 दिन तक चलने वाले गणेश उत्सव के दौरान भी चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। आइए जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से विस्तार में।
क्या गणेश उत्सव के दौरान देख सकते हैं चंद्रमा?
गणेश चतुर्थी के दिन जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, चंद्रमा को देखना वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा को देखने से व्यक्ति पर झूठे आरोप या कलंक लग सकते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है।
एक बार गणेश जी जब अपने वाहन चूहे पर बैठकर जा रहे थे तो वे गिर गए। चंद्रमा ने उन पर हंसना शुरू कर दिया जिससे गणेश जी क्रोधित हो गए और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दिया कि जो कोई भी उन्हें चतुर्थी के दिन देखेगा, उसे कलंक लगेगा।
इसी कारण, चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखना या चंद्र पूजन करना अशुभ माना जाता है। वहीं, गणेश उत्सव की बात करें तो गणेश चतुर्थी के अलावा, बाकी के 9 दिन चंद्रमा को देखना बहुत शुभ माना जाता है और चंद्रमा की पूजा से सुख-समृद्धि आती है।
गणेश उत्सव 10 दिनों तक चलता है जिसमें चतुर्थी के बाद पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और अनंत चतुर्दशी शामिल हैं। इन तिथियों पर चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में उनकी स्थिति मजबूत होती है और शुभ परिणाम मिलते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा मन का स्वामी है। जब हम गणेश उत्सव के दौरान शांत और निर्मल चंद्रमा को देखते हैं, तो इससे हमारे मन को शांति मिलती है। यह नकारात्मक विचारों को दूर करने और मानसिक स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
चंद्रमा का संबंध भावनाओं से होता है। उत्सव के दिनों में चंद्रमा के दर्शन करने से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह भावनाओं को संतुलित करने में मदद करता है और तनाव व चिंता को कम करता है।
ज्योतिष में चंद्रमा को शरीर के तरल पदार्थों और जल तत्व का नियंत्रक माना जाता है। चंद्रमा के दर्शन करने से स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह शरीर में जल तत्व को संतुलित करता है जिससे पाचन और रक्त संचार बेहतर हो सकता है।
चंद्रमा माता का कारक ग्रह है। गणेश उत्सव के दौरान चंद्रमा के दर्शन करने से व्यक्ति का अपनी माता के साथ संबंध और भी मजबूत होता है। यह पारिवारिक सौहार्द और प्रेम को बढ़ाता है।
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image credit: herzindagi
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