क्या सूर्यास्त के बाद सिंदूर नहीं लगाना चाहिए? जानें ज्योतिष की राय

सिंदूर को सोलह श्रृंगार का प्रमुख हिस्सा माना जाता है। यह जब किसी भी सुहागिन स्त्री की मांग में सजता है तो उसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती है। सिंदूर लगाने के कुछ विशेष ज्योतिष नियम भी हैं जिनका पालन जरूरी है।   
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मांग में सिंदूर लगाना अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों में गहराई से निहित है और इसके उपयोग से जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं। सिंदूर लगाने को लेकर ऐसी ही एक मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद इसे नहीं लगाना चाहिए। यही नहीं कुछ विशेष दिनों जैसे मंगलवार के दिन मांग में सिंदूर लगाने की मनाही होती है। आइए सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी से जानें इसके बारे में विस्तार से कि क्या वास्तव में सूर्यास्त के बाद सिंदूर नहीं लगाना चाहिए।

हिंदू परंपरा में सिंदूर लगाने का महत्व

significance of applying sindoor

सिंदूर हल्दी और पारे से बना एक लाल पाउडर होता है, जिसे पारंपरिक रूप से विवाहित हिंदू महिलाएं अपनी मांग में सुहाग की निशानी के रूप में लगाती हैं। इसे वैवाहिक आनंद, पति की दीर्घायु और एक महिला की अपनी वैवाहिक प्रतिज्ञाओं के प्रति निष्ठा का प्रतीक माना जाता है।

सिंदूर लगाने की रस्म विभिन्न समारोहों और दैनिक रीति-रिवाजों का एक अभिन्न अंग है, जो वैवाहिक बंधन की पवित्रता को दर्शाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कोई भी अनुष्ठान करने और सिंदूर लगाने के लिए शुभ समय निर्धारित करने में सूर्य और चंद्रमा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी जी बताते हैं कि हिंदू समाज में विवाहित स्त्री का मांग में सिंदूर धारण करना उसके पति के लंबे और सुरक्षित जीवन की प्रतीक माना जाता है। विवाह के दौरान जब वर वधू की मांग सिंदूर भरता है तो इसे सिंदूर दान कहा जाता है। इस रस्म को कन्यादान की तरह ही महत्वपूर्ण माना गया है।

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सिंदूर सोलह श्रृंगार का प्रमुख हिस्सा है

sindoor as solah shringar

किसी भी लड़की के विवाह के बाद सिंदूर 16 शृंगारों में से मुख्य शृंगार बन जाता है जो उसकी सुंदरता को कई गुना तक बढ़ा देता है। हिंदू संस्कृति में महिलाओं द्वारा अपनी मांग में सिंदूर भरना एक वैवाहिक संस्कार माना जाता है।

एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी बताते हैं कि विवाहित स्त्री को सदैव लंबी मांग तक सिंदूर लगाना चाहिए जो सभी को दूर से ही नजर आए। मान्यता के अनुसार जो स्त्री अपनी मांग के सिंदूर को बालों में छिपा लेती है उसके पति को सम्मान मिलने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि यह एक ज्योतिष मान्यता है और विज्ञान इस बात की कोई पुष्टि नहीं करता है।

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क्या सूर्यास्त के बाद सिंदूर नहीं लगाना चाहिए?

हिंदू धर्म में सूर्य को एक शक्तिशाली देवता माना जाता है, जो जीवन, ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक है। यह दिन के समय को नियंत्रित करता है और सकारात्मकता और ताकत से जुड़ा है। कोई भी महत्वपूर्ण अनुष्ठान करने और मांग में सिंदूर लगाने के लिए सूर्योदय से सूर्यास्त तक की अवधि को बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह समय सूर्य की ऊर्जा इन प्रथाओं की प्रभावशीलता को शुद्ध करती है और बढ़ाती है।

वहीं चंद्रमा रात्रि के समय को नियंत्रित करता है और भावनाओं, अंतर्ज्ञान और स्त्रीत्व तत्व से जुड़ा माना जाता है। सूर्यास्त के बाद, चंद्रमा का प्रभाव हावी हो जाता है और वातावरण अधिक आत्मा विश्लेषणात्मक हो जाता है।

कुछ ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार सूर्यास्त के बाद की ऊर्जा कुछ अनुष्ठानों के लिए अनुकूल नहीं होती है, जिसमें सिंदूर लगाना भी शामिल है, क्योंकि इससे वांछित सकारात्मक प्रभाव नहीं मिल सकता है। इसी वजह से ज्योतिष आपको सूर्यास्त के बाद मांग में सिंदूर न लगाने की सलाह देता है, लेकिन जब बात विज्ञान की आती है तो इसमें समय या दिन को लेकर कोई प्रमाण नहीं मिलता है, बल्कि यह आपको अपनी पसंद पर आधारित है कि आप किसी समय सिंदूर लगाना चाहते हैं।

धार्मिक दृष्टि से सिंदूर का महत्व

significance of sindoor

धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सिंदूर को मां पार्वती का आशीर्वाद माना जाता है, जो भगवान शिव की पत्नी हैं और सौभाग्य और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। सिंदूर लगाना मां पार्वती की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका माना जाता है। सिंदूर लगाने की परंपरा समाज में महिलाओं की वैवाहिक स्थिति की पहचान को मजबूती प्रदान करती है और सामाजिक अनुशासन बनाए रखने में मदद करती है।

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सिंदूर से मांग भरने का वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिक दृष्टि में महिलाओं को सिंदूर लगाना लाभदायक है। महिलाएं और पुरुष दोनों के शरीर की रचना अलग-अलग होती है। महिलाएं सिंदूर अपने मस्तक के ऊपर,सीमंत पर लगाती है। जिसे आम भाषा में मांग भी कहते हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का यह भाग बहुत ही कोमल होता है क्योंकि सिंदूर में अधिक मात्रा में पारा धातु पाई जाती है, इसलिए इसे लगाने से शरीर की विद्युत ऊर्जा नियंत्रित होती है और साथ ही यह बाहर के दुष्प्रभावों को भी ढाल की तरह रोकने के साथ किसी भी तरह की हानि होने से बचाता है।

प्राचीन काल से ही सिंदूर कुमकुम और हल्दी पाउडर से बनाया जाता है। इसे सुहाग की निशानी के साथ सोलह श्रृंगार का हिस्सा माना जाता है, इसी वजह से सुहागिन स्त्रियों को हमेशा मांग में सिंदूर लगाने की सलाह दी जाती है।

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Images:Freepik.com

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