Maa Kushmanda Vrat Katha: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन पढ़ें मां कूष्मांडा की व्रत कथा, रोग-दोष से मिलेगा छुटकारा

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की विधिवत रूप से पूजा करने की मान्यता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो भी सच्चे मन और भक्तिभाव से मां कूष्मांडा की पूजा करता है, उसको हर तरह की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। आइए इस लेख में व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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Maa Kushmanda Vrat Katha: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की विधि अनुसार पूजा करने की मान्यता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन विधिवत रूप से व्रत का पालन करते हुए माता की पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है। यही नहीं, व्यक्ति को रोग-दोष आदि से छुटकारा मिलता और जीवन में उत्तम परिणाम देखने को मिलते हैं। मां कूष्मांडा की महिमा अपरंपार है।

नवरात्रि के नौ दिनों तक माता रानी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें चौथे दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा होती है। इस दौरान मां अपने भक्तों का उद्धार और सभी दुष्टों का संहार करने के लिए धरती पर आती हैं। ऐसे में, चौथे दिन देवी को प्रसन्न करने के लिए पूजा के बाद उनकी कथा जरूर पढ़नी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रख इस दिन व्रत कथा पढ़ता है, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से मां कूष्मांडा की व्रत कथा के बारे में जानते हैं।

शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन पढ़ें मां कूष्मांडा की व्रत कथा

kushmanda mata vrat katha

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप अर्थात मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि की उत्पत्ति से पहले जब चारों ओर अंधकार था और धरती पर कोई जीव-जन्तु नहीं था। उस समय मां दुर्गा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। यही वजह की देवी के इस स्वरूप को कूष्मांडा माता कहा जाता है। सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण ही इन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है। सिंह पर सवार मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। इनके हाथों में चक्र, गदा, धनुष, कमण्डल, बाण और एक अमृत से भरा हुआ कलश होता है।

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मां कूष्मांडा की व्रत कथा के महत्व

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मां कूष्मांडा की महिमा अपरंपार है। ऐसे में नवरात्रि के चौथे दिन देवी के इस स्वरूप की विधि अनुसार पूजा करने की विशेष मान्यता है। पूजा के बाद कूष्मांडा माता की व्रत कथा पढ़ने का भी शास्त्रों में महत्व मिलता है। कहते हैं, नवरात्रि के चौथे दिन इस व्रत कथा को पढ़ने से आपकी हर इच्छाएं पूरी होती हैं। आपके जीवन में उत्तम परिणाम देखने को मिल सकते हैं। यही नहीं, इस कथा के पुण्य प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का भी आशीर्वाद मिलता है।

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Image credit- Herzindagi, Pinterest

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