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Shanivar Vrat Niyam 2025: क्या शनिदेव के लिए व्रत रखना सही है? जानें शनिवार से जुड़े नियम

Shanivar Vrat ke Niyam: अधिकतर लोग शनिवार का या शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत रखते हैं, लेकिन एक सवाल यह भी उठता है कि शनिदेव की दृष्टि अगर आप पर नहीं है तो ऐसे में उनके लिए व्रत रखकर उनका ध्यान अपनी ओर खींचना सही है?
Editorial
Updated:- 2025-12-06, 05:11 IST

हिंदू धर्म में शनि देव को 'कर्मफल दाता' यानी कर्मों का फल देने वाला देवता माना जाता है। जो भक्त श्रद्धा और सच्चे मन से शनिवार का व्रत रखते हैं उनके जीवन से शनि के अशुभ प्रभाव जैसे साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि की महादशा के कष्ट कम होते हैं। शनि व्रत रखने से व्यक्ति को न्याय मिलता है, जीवन में अनुशासन आता है और स्वास्थ्य तथा धन संबंधी बाधाएं दूर होती हैं। यह व्रत शनिदेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का सबसे सीधा मार्ग है जिससे जीवन में सुख-शांति और स्थिरता आती है। यही कारण है कि अधिकतर लोग शनिवार का या शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत रखते हैं, लेकिन एक सवाल यह भी उठता है कि शनिदेव की दृष्टि अगर आप पर नहीं है तो ऐसे में उनके लिए व्रत रखकर उनका ध्यान अपनी ओर खींचना सही है? आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

क्या शनिदेव के लिए व्रत रखना सही है?

शनि देव के लिए व्रत रखना उन लोगों के लिए विशेष रूप से सही और आवश्यक माना जाता है जिनकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है या जो शनि की महादशा से गुजर रहे हैं।

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यह व्रत न केवल शनि के अशुभ प्रभावों को कम करता है, बल्कि आपको मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति भी प्रदान करता है। व्रत रखने का मुख्य उद्देश्य शनिदेव से अपने कर्मों के लिए क्षमा मांगना और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना होता है।

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यह व्रत आपको बुरी आदतों से दूर रहने और गरीबों तथा असहायों की मदद करने के लिए प्रेरित करता है, जो स्वयं शनिदेव के सिद्धांतों का मूल है। इसलिए, यह व्रत आध्यात्मिक और व्यावहारिक दोनों दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ है।

शनिवार की पूजा से जुड़े नियम (Shanivar Vrat Niyam)

शनिवार के व्रत और पूजा में कुछ विशेष नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है ताकि शनिदेव की कृपा पूर्ण रूप से प्राप्त हो सके। शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा के समय काले या नीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

शनिदेव की पूजा हमेशा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए, क्योंकि उन्हें पश्चिम दिशा का स्वामी माना जाता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' मंत्र का जाप करना बहुत शुभ होता है।

शनिदेव को सरसों का तेल, काला तिल, नीले फूल और काले वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। उन्हें भोग में गुड़ और तिल से बनीवस्तुएं, काले चने या उड़द दाल की खिचड़ी चढ़ाई जाती है।

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दिन भर उपवास रखें। कुछ लोग केवल फलाहार करते हैं, जबकि कुछ लोग शाम को पूजा के बाद एक समय नमक रहित भोजन करते हैं। व्रत में नमक का सेवन न करने का प्रयास करें।

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निवार को काले कंबल, सरसों का तेल, काला तिल, जूते या लोहे की वस्तुएं किसी गरीब या ज़रूरतमंद व्यक्ति को दान करना शनिदेव को अति प्रिय है। इस दिन लोहा, तेल और चमड़े की चीजें खरीदना अशुभ माना जाता है। 

शनिदेव को तेल चढ़ाने के लिए तेल खरीदना भी वर्जित होता है, इसे एक दिन पहले ही खरीद लेना चाहिए। शनिदेव ने हनुमान जी को वचन दिया था कि वह उनके भक्तों को कभी कष्ट नहीं देंगे। इसलिए, शनिवार को हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना शनि के अशुभ प्रभावों को दूर करने का सबसे बड़ा उपाय है।

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image credit: herzindagi 

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