सावन का महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस दौरान भक्त भगवान शिव की कृपा पाने के लिए विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान और पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन में पीपल के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है? सदियों से पीपल को एक पूजनीय वृक्ष माना गया है और सावन में इसकी पूजा कई धार्मिक कारणों से महत्वपूर्ण हो जाती है। आपको बता दें, हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, पीपल के वृक्ष में त्रिदेवों जैसे कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। इसकी जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और ऊपरी भाग तथा पत्तियों में शिव का वास माना गया है। यही कारण है कि पीपल को वृक्षों का राजा और देव वृक्ष भी कहा जाता है।
सावन में पीपल की पूजा करने से तीनों देवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। विशेषकर शनिवार को पीपल की पूजा का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि इसे शनिदेव से भी जोड़ा जाता है। माना जाता है कि पीपल पर जल चढ़ाने और दीपक जलाने से शनि की साढ़ेसाती और ढैया के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। अब ऐसे में सावन महीने में पीपल के पेड़ की पूजा किस विधि से करें और नियम क्या है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
सावन में पीपल के पेड़ की पूजा किस विधि से करें?
एक लोटे में शुद्ध जल और थोड़ा कच्चा दूध मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करें। जल अर्पित करते समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय" या "मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे, अग्रतः शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नमः मंत्र का जाप करें। यह मंत्र पीपल में त्रिदेवों के वास को दर्शाता है।
अब पीपल के पेड़ पर रोली और चावल से तिलक करें।
इसके बाद पीपल के वृक्ष की सात या ग्यारह परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय "अश्वत्थ हुतभुगवाम गोन्दिस्य सदाप्रिय। अशेषं हर मे पापं वृक्षराज नमोऽस्तु ते।।" मंत्र का जाप कर सकते हैं।
अंत में, अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पीपल देवता से प्रार्थना करें।
आप पीपल के पेड़ की पूजा कर रहे हैं तो सबसे गुड़ का जल पेड़ की जड़ में डालें। इससे शनि की साढ़ेसाती से छुटकारा मिल सकता है।
सावन महीने में पीपल के पेड़ की पूजा का नियम
सावन में पीपल की पूजा के लिए सूर्योदय से पहले का समय या प्रदोष काल (शाम का समय) उत्तम माना जाता है। रविवार को पीपल की पूजा नहीं करनी चाहिए।
पूजा के लिए जल, कच्चा दूध, तिल, काले तिल, चंदन, धूप, दीपक और कुछ मिठाई या फल का उपयोग कर सकते हैं।
सबसे पहले पीपल के वृक्ष को प्रणाम करें। फिर जल और दूध मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करें। इसके बाद चंदन लगाएं, धूप-दीपक जलाएं और परिक्रमा करते हुए ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
कम से कम 7 या 11 परिक्रमा करें। मान्यता है कि पीपल की परिक्रमा करने से शनि दोष और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
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सावन महीने में पीपल के पेड़ की पूजा का महत्व
सावन में पीपल की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है और पितृ दोष शांत होते हैं। इस दौरान पीपल को जल चढ़ाने, परिक्रमा करने और दीपक जलाने से सुख-समृद्धि आती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। खासकर सावन के शनिवार को पीपल की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए, सावन के महीने में पीपल की पूजा करने से उत्तम परिणाम मिल सकते हैं।
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