आधी रात को ही क्यों हुआ था श्री कृष्ण का जन्म? जानें क्या था कारण

श्री कृष्ण के जन्म के जन्म की कथा तो हम सबको पता है कि कैसे बाल गोपाल कृष्ण का जन्म मथुरा में कंस के कारागृह में रात के समय हुआ था, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आधी रात को ही क्यों जन्में थे श्री कृष्ण।
What is the real time of Krishna birth

श्री कृष्ण के जन्म के जन्म की कथा तो हम सबको पता है कि कैसे बाल गोपाल कृष्ण का जन्म मथुरा में कंस के कारागृह में रात के समय हुआ था और कैसे श्री कृष्ण ने लीला रचाते हुए मथुरा से गोकुल तक का मार्ग तय किया था। हम सभी जानते हैं कि आधी रात में अचानक ही कंस के सारे सिपाही सो गए थे और वासुदेव जी की बेड़ियां खुल गई थीं जिसके बाद वे एक टोकरी में यमुना पार करते हुए गोकुल पहुंचे और माता यशोदा के पास नन्हे कान्हा को रख दिया, लेकिन इस पूरी लीला के बीच क्या आपके मन में कभी यह प्रश्न उठा कि आखिर क्यों श्री कृष्ण का जन्म आधी रात को ही हुआ, सुबह-दोपहर या शाम के समय क्यों नहीं। आइये जानते हैं श्री कृष्ण के जन्म से जुड़े इस रहस्य के बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से विस्तार में।

आधी रात में ही क्यों जन्में थे श्री कृष्ण?

Short story of Lord Krishna with Moral

सबसे पहला और महत्वपूर्ण कारण यह है कि श्री कृष्ण का जन्म अंधेरे का नाश करने और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। वे ऐसे समय में अवतरित हुए थे जब धरती पर कंस जैसे अत्याचारी राजाओं का बोलबाला था और चारों ओर अधर्म एवं अन्याय फैला हुआ था। आधी रात जो सबसे गहरा अंधकार का समय होता है, ऐसे में भगवान का जन्म लेना यह दर्शाता है कि वे इसी घोर अंधकार को मिटाने वाले 'प्रकाश' के रूप में आए थे। उनका अवतरण यह संदेश देता है कि जब बुराई अपनी चरम सीमा पर होती है, तब भगवान का हस्तक्षेप होता है।

दूसरा कारण उनकी सुरक्षा और गोपनीयता से जुड़ा है। कंस अपनी मृत्यु के डर से देवकी और वासुदेव की संतानों को मारता जा रहा था। आधी रात का समय ऐसा होता है जब चारों ओर सन्नाटा होता है और लोग सो रहे होते हैं। ऐसे में यह श्री कृष्ण की लीला ही थी कि समय से पहले कोई भी कृष्ण अवतरण का रहस्य न जान पाए इसलिए उनका जन्म रात के अंधकार में हुआ। इसके अलावा, यह इस बात का भी संकेत है कि भगवान द्वारा बनाई गई योजनाएं अक्सर गुप्त रूप से और अप्रत्याशित क्षणों में पूरी होती हैं।

Krishna birth story in English

भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, रोहिणी नक्षत्र में और बुधवार के दिन मध्यरात्रि में हुआ था। उनके बुधवार को जन्म लेने के पीछे एक विशेष ज्योतिषीय और वंशगत संबंध माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण चंद्रवंशी थे। चंद्रवंशी होने का अर्थ है कि उनके पूर्वज चंद्रदेव थे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध ग्रह को चंद्रमा का पुत्र माना जाता है। इसी कारण अपने चंद्रवंश में एक पुत्र के रूप में जन्म लेने और इस वंश के गौरव को बढ़ाने के लिए श्री कृष्ण ने बुधवार का दिन चुना। यह उनके अवतार की एक सूक्ष्म और गहरी योजना का हिस्सा था जो उनके वंश और ग्रहों के बीच के संबंध को दर्शाता है।

यह भी पढ़ें:घर में कदंब कृष्ण की प्रतिमा रखने से क्या होता है?

भागवत पुराण में वर्णित जन्मकथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। रोहिणी को चंद्रदेव की अत्यंत प्रिय पत्नी और एक महत्वपूर्ण नक्षत्र भी माना जाता है। वहीं, उनकी जन्म तिथि अष्टमी को माता शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इन विशिष्ट संयोगों के कारण ही भगवान श्री कृष्ण को शक्ति स्वरूप और परब्रह्म कहा जाता है। यह दर्शाता है कि वे केवल एक देवता नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड को स्वयं में समेटे हुए परम सत्ता हैं। उनका यह स्वरूप उनकी सर्वव्यापकता और असीम शक्ति का प्रतीक है।

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP

FAQ

  • श्री कृष्ण को क्यों कहते हैं श्याम? 

    'श्याम' शब्द का अर्थ है सांवला और श्री कृष्ण का वर्ण यानी कि रंग भी सांवला ही था, इसलिए उन्हें श्याम कहा जाता है।