भाई को राखी बांधने से पहले इन बातों का रखें ध्यान, पंडित जी से जानें नियम

हिंदू धर्म में रक्षा बंधन के त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है। अब ऐसे में बहनें जब भाई को राखी बांध रही हैं तो उन्हें कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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रक्षाबंधन का पावन पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है. यह सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि स्नेह, विश्वास और एक-दूसरे की रक्षा के संकल्प का बंधन है. हर साल बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राखी बांधने के कुछ विशेष नियम होते हैं, जिनका पालन करने से इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है? आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी जी से जानते हैं उन महत्वपूर्ण बातों के बारे में, जिनका ध्यान राखी बांधने से पहले रखना चाहिए।

बहनें भाई को बांधने से पहले शुभ मुहूर्त का रखें ध्यान

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हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त के नहीं किया जाता। रक्षाबंधन जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर भद्रा काल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा शनिदेव की बहन हैं और उन्हें कुछ अशुभ माना जाता है। भद्रा काल में किया गया कोई भी शुभ कार्य उतना फलदायी नहीं होता, या कभी-कभी तो उसका विपरीत प्रभाव भी देखने को मिल सकता है। रावण की बहन ने उसे भद्रा काल में राखी बांधी थी, जिसके बाद उसका विनाश हो गया था। इसलिए, बहनों को अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और कल्याण के लिए भद्रा रहित काल में ही राखी बांधनी चाहिए। इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें।

बहनें पहले राखी को गंगाजल से करें शुद्ध

राखी सिर्फ एक धागा नहीं, यह बहन के प्रेम, भाई के प्रति उसकी मंगल कामनाओं और सुरक्षा की प्रार्थना का प्रतीक है। जब हम बाजार से राखी खरीदते हैं, तो वह कई हाथों से होकर गुजरती है। हमें नहीं पता होता कि उसे बनाने वाले, बेचने वाले या छूने वाले लोगों की ऊर्जा कैसी थी। ऐसे में, गंगाजल से राखी को शुद्ध करना उसे सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्त करता है। यह राखी को और अधिक पवित्र और प्रभावी बनाता है। गंगाजल से शुद्ध की गई राखी में दैवीय शक्ति का वास होता है, जो भाई को न सिर्फ बाहरी बुराइयों से बचाता है, बल्कि उसके जीवन में सुख-समृद्धि भी लाती है।

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बहनें सही दिशा में बैठकर भाई को बांधें राखी

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सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करते समय दिशा का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि सही दिशा में बैठकर पूजा या कोई शुभ अनुष्ठान करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शास्त्रों के अनुसार, राखी बांधते समय भाई का मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। पूर्व दिशा को सूर्योदय की दिशा माना जाता है, जो ऊर्जा, सकारात्मकता और नई शुरुआत का प्रतीक है। इस दिशा में मुख करके बैठने से भाई को दीर्घायु और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

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Image Credit- HerZindagi

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