हिंदू धर्म में हमारे पूर्वजों या पितरों को एक विशेष स्थान दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान वो धरती पर आते हैं और होने वंशजों से भोजन ग्रहण करके उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
मान्यता है कि इन विशेष 16 दिनों में कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है और यही नहीं मुख्य रूप से जब आप पूर्वजों के लिए भोजन बनाते या उनको भोजन अर्पित करते हैं उस समय कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए।
दरअसल इस अवधि के दौरान पूर्वज हमारे माध्यम से ही जल और भोजन ग्रहण करते हैं और उनकी आत्मा को तृप्ति मिलती है। अपनी पसंद का भोजन करके वप प्रसन्न हो जाते हैं और घर में किसी भी पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। यही नहीं श्रद्धा भाव से बनाया और परोसा गया भोजन पितरों को प्रसन्न करने में मदद करता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि आपको पितृ पक्ष के दौरान पितरों का भोजन बनाने और उसे ग्रहण करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पितृ पक्ष के दौरान पितरों को भोजन क्यों कराया जाता है
पितृ पक्ष के दौरान पितरों को भोजन कराना उन्हें सम्मान देने का प्रतीक होता है। भोजन पकाना और पितरों को तर्पण करना केवल एक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक पवित्र कर्तव्य भी है। ज्योतिष और हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भोजन बनाते और चढ़ाते समय विशिष्ट दिशानिर्देशों का पालन करने से पूर्वज उस भोजन को ख़ुशी से स्वीकार करते हैं और ग्रहण भी करते हैं।
हिंदू धर्म में, यह माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज अपने वंशजों से प्रसाद प्राप्त करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। भोजन अर्पित करने का कार्य, जिसे श्राद्ध के रूप में जाना जाता है, पूर्वजों के आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करने और उनके वंशजों द्वारा की गई किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगने का एक तरीका होता है। ऐसा कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों को अर्पित किए गए भोजन से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है, जिससे उन्हें मुक्ति या मोक्ष प्राप्त होता है। बदले में, पूर्वज अपने वंशजों को समृद्धि, खुशी और बाधाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद देते हैं।
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भोजन बनाते और पूर्वजों को अर्पित करते समय नियमों का पालन जरूरी क्यों है
ज्योतिष के अनुसार श्राद्ध पक्ष के दौरान भोजन बनाना और उस भोजन को पूर्वजों को श्रद्धा से अर्पित करना एक विशेष अनुष्ठान माना जाता है। इन अनुष्ठानों को करने में असफल होने या श्राद्ध कर्म न करने से घर में पितृ दोष हो सकता है और आपके बनते काम बिगड़ सकते हैं।
यदि पूर्वजों को सही तरीके से भोजन नहीं अर्पित किया जाता है तो वो रुष्ट हो सकते हैं और इसका परिणाम आपके जीवन में पितृ दोष के रूप में दिखाई दे सकता है जिसकी वजह से कई स्वास्थ्य समस्याएं, करियर में परेशानियां, पारिवारिक विवाद या विवाह में देरी जैसी परेशानियां होने लगती हैं। इसी वजह से श्रद्धापूर्वक और सही नियम का पालन करते हुए श्राद्ध कर्म करने की सलाह दी जाती है।
पितृ पक्ष में भोजन बनाते समय ध्यान रखें ये बातें
- पितृ पक्ष यानी कि श्राद्ध की अवधि में में भोजन बनाते समय सबसे महत्वपूर्ण बात है शुद्धता का पालन करना। इसके लिए इस्तेमाल की जाने वाली रसोई और बर्तन शुद्ध होने चाहिए। जो भी व्यक्ति श्राद्ध का भोजन बनाए उसे और भोजन बनाने वाले व्यक्ति को स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए। किसी भी प्रकार की अशुद्धि या गंदगी का प्रवेश रसोई में नहीं होना चाहिए।
- भोजन बनाते समय बर्तन और किचन को अच्छी तरह से साफ़ करना जरूरी है और स्वयं भी शुद्ध मन से भोजन तैयार करना चाहिए।
- इस दौरान मांसाहारी या तामसिक भोजन का उपभोग नहीं करना चाहिए, पितरों को अर्पित करने के लिए केवल सात्विक भोजन ही तैयार करना चाहिए।
- श्राद्ध के लिए भोजन तैयार करते समय कुछ विशेष प्रकार के भोजन को प्राथमिकता दी जाती है। जैसे कि खीर, पूड़ी और हलवा आदि का श्राद्ध में शुभ माना जाता है। ये ऐसे पकवान हैं जो पितरों को प्रिय होते हैं और उनकी आत्मा की संतुष्टि प्रदान करते हैं।
- भोजन के लिए आपको हमेशा ताजी और शुद्ध सामग्री का इस्तेमाल करना चाहिए। इस दौरान मिर्च-मसालेदार भोजन नहीं बनाया जाता है बल्कि सात्विक और साधारण भोजन तैयार करना चाहिए।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्राद्ध के समय भोजन की तैयारी के लिए रसोई की दिशा भी महत्वपूर्ण होती है। इस दौरान भोजन तैयार करने वाले का मुंह दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए ताकि पितरों के लिए भोजन तैयार करने का कर्म शुभ और फलदायी हो।
- खाना बनाते समय किसी भी प्रकार की नकारात्मकता या अशुद्ध भावनाओं से बचना चाहिए।
पितृ पक्ष में पितरों को भोजन अर्पित करने के नियम
- ज्योतिष शास्त्र में पितरों को भोजन देने का समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। श्राद्ध अनुष्ठान करने और भोजन अर्पित करने का आदर्श समय दोपहर का होता है, जब सूर्य अपने चरम पर होता है। इस मुहूर्त को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है और इसे पितरों के श्राद्ध कर्म के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। ज्योतिष में, सूर्य आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है और इस दौरान इसकी ऊर्जा सबसे मजबूत होती है, जिससे यह दिवंगत आत्माओं से जुड़ने के लिए सबसे शुभ अवधि बन जाती है।
- श्राद्ध पक्ष का भोजन सबसे पहले पितरों को अर्पित किया जाता है। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितरों को ब्राह्मणों के माध्यम से भोजन प्राप्त होता है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
- भोजन अर्पित करते समय आप सबसे पहले भोजन के तीन अंश निकालें। जिसमें पहला हिस्सा पितरों के लिए, दूसरा कुत्ते के लिए और तीसरा कौवे के लिए निकाला जाता है। इन तीनों को भोजन अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- भोजन अर्पित करने के लिए घर के दक्षिण दिशा में एक साफ और पवित्र स्थान का चुनाव करें।
- भोजन अर्पित करते समय आपको पितरों को प्रसन्न करने के लिए भोजन अर्पण करते समय मंत्र उच्चारण भी करना चाहिए।
- पितरों का भोजन तैयार करके साफ और पवित्र स्थान पर रखें और उसके पास दीपक जलाएं।
- पितरों को भोजन अर्पित करते समय संकल्प लें कि यह भोजन उनकी आत्मा को तृप्त करने के लिए समर्पित है।
पितृ पक्ष में भोजन ग्रहण करने के नियम
- पितृ पक्ष की पूरी अवधि में आपको सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है। मुख्य रूप से जिस दिन आपके पूर्वजों का श्राद्ध हो उस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। इसमें भूलकर भी मांसाहार और अन्य तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन लहसुन, प्याज आदि का प्रयोग भी भोजन में नहीं करना चाहिए।
- श्राद्ध में बने भोजन को सबसे पहले ब्राह्मणों को अर्पित करना चाहिए। इसके बाद परिवार के सदस्यों को एक साथ बैठकर भोजन करना चाहिए। यह भोजन पवित्र और शुद्ध होता है और इसे ग्रहण करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
- भोजन करने से पहले हाथ-पैर धोकर पवित्र हो जाना चाहिए। भोजन ग्रहण करते समय शांति और ध्यान बनाए रखें और पितरों का स्मरण करें।
पितरों को प्रसन्न करने के लिए आप यदि भोजन बनाते और ग्रहण करते समय यहां बताए नियमों का पालन करेंगे तो पूर्वजों का आशीर्वाद मिलेगा और समृद्धि बनी रहेगी।
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