हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल पितृपक्ष 17 सितंबर, दिन मंगलवार से शुरू हो रहे हैं। पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण एवं पिंडदान करने का विशेष स्थान मौजूद है। ऐसी मानयता है कि जहां एक ओर पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करने से उनका आशीर्वाद पाया जा सकता है, पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है तो वहीं तर्पण के दौरान की गई गलितयों से पितृ भयंकर नाराज भी हो सकते हैं। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि पितृपक्ष के दौरान पितरों के निमित्त तर्पण करते समय कौन सी गलतियों को करने से बचना चाहिए।
पितृपक्ष के दौरान तर्पण करने के क्या नियम हैं?
पितृ तर्पण के लिए दिशा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। शास्त्रों मिज दक्षिण दिशा को तर्पण के लिए उचित बताया गया है। ऐसे में जब तर्पण करें तो अपना मुंह दक्षिण दिशा की ओर रखें तभी तर्पण पूर्ण होगा।
पितरों का तर्पण करते उंगली का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, तर्पण करते समय अंगूठे से जल पितरों के निमित्त अर्पित किया जाता है। इसके अलावा, अन्गूते में कुशा भी बांधी जाती है।
अक्सर लोग सबसे पहला तर्पण पितरों का करते हैं जो कि गलत है। पितरों के निमित्त तर्पण करने से पहले देवी-देवताओं के नाम पर पूर्व दिशा में तर्पण किया जाता है। उसके बाद पितृ तर्पण की विधि होती है।
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तर्पण के दौरान पितरों को पुष्प चढ़ाए जाने का विधान है, लेकिन अक्सर लोग ऐसे फूलों का चुनाव करते हैं जो मुख्य रूप से भगवान पर चढ़ते हैं जबकि पितरों को हल्की सुगंध के सफेद पुष्प चढ़ाने चाहिए।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर पितृ पक्ष के दौरान तर्पण करते समय कौन सी गलितयां नहीं करनी चाहिए। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
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