(Papmochani ekadashi vrat katha) पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से करने के विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति विष्णु जी की पूजा विधिवत रूप से करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है और सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति हो सकती है। अब ऐसे में इस दिन अगर आप व्रत रख रहे हैं, तो व्रत कथा जरूर पढ़ें। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
पापमोचनी एकादशी के दिन पढ़ें व्रत कथा (Papmochani Ekadashi Vrat Katha 2024)
पौराणिक मान्यताओं के अनुासार, एक बार राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से एक सवाल पूछे कि गलती से हुए पापों से मुक्ति कैसे प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे में लोमश ऋषि ने पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में बताया। कथा के अनुसार, एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी जंगल में तपस्या कर रहे थे। तभी वहां से एक अप्सरा जा रही थी। जिसका नाम मंजुघोषा था। उसकी नजर मेधावी पर पड़ी और वह उसे देखते ही मोहित हो गए।
इसके बाद मंजुघोषा ने मेधावी को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए। इस कार्य में मदद के लिए कामदेव भी सामने आए। तब मेधावी भी मंजुघोषा की तरफ आकर्षित हो गए। ऐसे में वह भगवान शिव की तपस्या करना भूल गए। कुछ समय निकल जाने के बाद मोधावी को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने मंजुघोषा को दोषी मानते हुए उन्हें पिशाचिनी होने का श्राप दिया। जिससे अप्सरा बहुत दुखी हुई।
इसके बाद अप्सरा ने मेधावी से माफी मांगी और इस बात को सुनकर मेधावी ने मंजुघोषा को चैत्र माह की पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में बताया। मेधावी के कहने पर मंजुघोषा ने विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। व्रत के शुभ प्रभाव से अप्सरा को सभी पापों से छुटकारा मिल गया। इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा वापस अप्सरा बन गई और स्वर्ग में वापस चली गई। मंजुघोषा के बाद मेधावी ने भी पापमोचनी का व्रत किया और उसे सभी पापों से छुटकारा मिला।
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पापमोचनी एकादशी के दिन मंत्र जाप (Papmochani Ekadashi 2024)
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।
- ऊँ श्री प्रकटाय नम:
- ऊँ श्री वामनाय नम:
- ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नम:
- ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
- ऊँ श्री सुलोचनाय नम:
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- ऊँ श्री आनन्दाय नम:
- ऊँ श्री सुरेशाय नम:
- ऊँ श्री चक्रगदाधराय नम:
- ऊँ श्री द्वारकानाथाय नम:
पापमोचनी एकादशी के दिन व्रत कथा पढ़ें और मंत्रों का जाप करें। इसके अलावा अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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