निर्जला एकादशी के दिन इस विधि से करें शालिग्राम की पूजा, जानें नियम और महत्व

हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। अब ऐसे में इस दिन किस विधि से शालीग्राम की पूजा करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
nirjala ekadashi 2025 shaligram puja samagri vidhi and significance

हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का व्रत पुण्य प्राप्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि अगर आपके कष्ट दूर नहीं हो रहे हैं और परेशानियां बढ़ती ही जा रही है तो निर्जला एकादशी के दिन व्रत करने से और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। आपको बता दें, निर्जला एकादशी के दिन शालीग्राम की पूजा-अर्चना करने का भी विशेष महत्व है। अगर आपके घर शालीग्राम भगवान हैं तो निर्जला एकादशी के दिन मुख्य रूप से पूजा करें। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से शालीग्राम की पूजा विधि और नियम के बारे में जानते हैं।

निर्जला एकादशी के दिन शालीग्राम की पूजा विधि

shutterstock_2204935423

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब हाथ में जल लेकर निर्जला एकादशी के व्रत या पूजा का संकल्प लें। अगर आप निर्जला व्रत रख रहे हैं, तो इसका भी संकल्प लें।
पूजा के लिए पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। पीले रंग का आसन बिछाना शुभ माना जाता है।
भगवान विष्णु और शालिग्राम जी का ध्यान करें। 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करते हुए उन्हें पूजा में आने का आह्वान करें।
सबसे पहले शालिग्राम जी को पंचामृत से स्नान कराएं।
इसके बाद उन्हें शुद्ध जल, विशेषकर गंगाजल से स्नान कराएं।
शालिग्राम जी को पीला वस्त्र अर्पित करें और उन्हें चंदन लगाएं।
भगवान विष्णु और शालिग्राम जी को पीले फूल और विशेष रूप से तुलसी दल अर्पित करें। तुलसी दल के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।
आप 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। विष्णु सहस्रनाम, विष्णु स्तुति या एकादशी व्रत कथा का पाठ भी कर सकते हैं।
आखिर में शालीग्राम भगवान की आरती करें।

निर्जला एकादशी के दिन शालीग्राम की पूजा करने के नियम

घर में केवल एक ही शालिग्राम रखना शुभ माना जाता है। यदि आपके पास एक से अधिक शालिग्राम हैं, तो उन्हें किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर देना चाहिए।
शालिग्राम जी की पूजा करते समय तामसिक भोजन से दूर रहें।
शालीग्राम की पूजा विधिवत रूप से करें। आप पूजा के लिए अपने पंडित जी से सलाह ले सकते हैं।

इसे जरूर पढ़ें - मोक्ष प्राप्ति के लिए निर्जला एकादशी के व्रत में क्या करें और क्या करने से बचें? ज्योतिष से जानें

निर्जला एकादशी के दिन शालीग्राम की पूजा का महत्व

07_02_2023-shaligram_23322159

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि निर्जला एकादशी के दिन शालिग्राम की पूजा करने से व्यक्ति को पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन माना जाता है, और इसे करने से साल भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है। शालिग्राम की पूजा से सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।

इसे जरूर पढ़ें - निर्जला एकादशी के दिन किन चीजों का दान करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव हो सकते हैं दूर

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit- HerZindagi

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP