सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का व्रत पूरी 24 एकादशियों की पुण्य प्राप्ति का कारक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो जातक इस दिन व्रत रख लें और पूरे विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करे। उससे कभी भी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार, यह व्रत जन्म कुंडली में ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने पांडवों को एकादशी व्रत का महत्व समझाया था। अपनी भूख पर नियंत्रण न रख पाने वाले भीमसेन ने व्यासजी से पूछा कि क्या कोई ऐसा एकादशी व्रत है जिसे केवल एक बार करने से सभी एकादशियों का फल मिल जाए। तब व्यासजी ने उन्हें निर्जला एकादशी के बारे में बताया। यह व्रत जल और अन्न का पूरी तरह से त्याग करके रखा जाता है। भीमसेन ने इस कठिन व्रत का पालन किया, और तभी से इसे "भीमसेनी एकादशी" भी कहा जाने लगा। अब ऐसे में निर्जला एकादशी के दिन मोक्ष प्राप्ति के लिए क्या करें और क्या करने से बचें। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
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