सनातन धर्म में निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी भी कहते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों में भीमसेन, जिन्हें भूख बहुत लगती थी, वे सभी एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते थे। तब महर्षि वेदव्यास ने उन्हें ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी का निर्जल व्रत रखने को कहा, जिससे उन्हें सभी एकादशियों का फल मिल सके। भीमसेन ने इस व्रत को सफलतापूर्वक किया, तभी से इसे भीमसेनी एकादशी कहा जाने लगा। ऐसा माना जाता है कि जो मनुष्य निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद यमदूत नहीं घेरते, बल्कि भगवान विष्णु के पार्षद उन्हें पुष्पक विमान में बिठाकर स्वर्ग ले जाते हैं। अब ऐसे में निर्जला एकादशी के दिन किस विधि से विष्णु जी की पूजा करने से लाभ हो सकता है। पूजा सामग्री क्या है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा सामग्री
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति
- चौकी
- पीला वस्त्र
- पंचामृत
- तुलसी दल
- फूल
- धूप और दीप
- चंदन
- लौंग, इलायची, सुपारी
- गंगाजल
निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें और निर्जला एकादशी व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थल को साफ करके एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- कलश में जल भरकर स्थापित करें।
- भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- भगवान को पीले वस्त्र या मौली अर्पित करें।
- निर्जला एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
- निर्जला एकादशी के दिन दान-पुण्य करने का विधान है। इसलिए दान अवश्य करें।
- आखिर में भगवान विष्णु की आरती करें।
निर्जला एकादशी के दिन पूजा के नियम
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लें। संकल्प में अपनी मनोकामना भी कहें।
- पूजा के लिए पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। पीले रंग का आसन बिछाना शुभ माना जाता है।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर एक चौकी पर स्थापित करें। यदि घर में शालिग्राम जी हैं, तो उनकी भी पूजा करें।
- द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। पारण से पहले स्नान करके फिर से श्रीहरि की पूजा करें।
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निर्जला एकादशी के दिन पूजा का महत्व
निर्जला एकादशी के दिन पूजा-पाठ करने से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो सकती है। साथ ही मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
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