Ashadha Gupt Navratri 2024: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां भुवनेश्वरी की पूजा और पढ़ें ये स्तोत्र एवं अष्टक, मिलेगी हर कार्य में सिद्धि

शक्ति की पूजा में दस महाविद्या की साधना सभी प्रकार के दुख और कष्ट को दूर करती है। इन्हीं दस देवियों में मां भुवनेश्वरी की पूजा गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन उनकी पूजा होती है।

 
Bhuvaneshwari Stotram meaning

हिंदू धर्म में भुवनेश्वरी माता की पूजा करने से साधक के सभी दुख-दर्द और कष्ट दूर होते हैं, एवं सभी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती है। हमारे एस्ट्रो एक्सपर्ट शिवम पाठक ने बताया कि हिंदू धर्म में 10 महाविद्या में मां भुवनेश्वरी चौथी देवी हैं, उनकी विधि-विधान से पूजा करने से मां भगवती सभी इच्छाएं पूरी करती है। गुप्त नवरात्रि के इस पावन अवसर पर मां भुवनेश्वरी की पूजा करने के बाद माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र और अष्टक का पाठ करें।

माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र/Maa Bhuvaneshwari Stotram

Bhuvaneshwari Stotram mantra

अष्टसिद्धिरालक्ष्मी अरुणाबहुरुपिणि, त्रिशूल भुक्कुरादेवी पाशाकुशविदारिणी ॥१

खड्गखेटधरादेवी घण्टनि चक्रधारिणी, षोडशी त्रिपुरादेवी त्रिरेखा परमेश्वरी ॥२

कौमारी पिंगलाचैव वारीनी जगामोहिनी, दुर्गदेवी त्रिगंधाच नमस्ते शिवनायक ॥३

एवंचाष्टशतनामंच श्लाके त्रिनयभावितं, भक्तये पठेन्नित्यं दारिद्रयं नास्ति निश्चितं ॥४

एकः काले पठेन्नित्यं धनधान्य समाकुलं, द्विकालेयः पठेन्नित्यं सर्व शत्रुविनाशानं ॥५

त्रिकालेयः पठेन्नित्यं सर्व रोग हरम परं, चतुःकाले पठेन्नित्यं प्रसन्नं भुवनेश्वरी ॥६

इति श्री रुद्रयावले ईश्वरपार्वति संवादे

श्री भुवनेश्वरी स्तोत्र संपूर्णं

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श्री भुवनेश्वरी अष्टकम/Shri Bhuvaneshwari Ashtakam

Bhuvaneshwari Stotram

भुवनेश्वरीं नमस्यामो भक्तकल्पद्रुमां सदा ।

वरदां कामदां शान्तां कृष्णातीरनिवासिनीम् ॥ १॥

सर्वसिद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदे शुभे ।

भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ २॥

सर्वाभयप्रदे देवि सर्वदुष्टविनाशिनि ।

भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ३॥

सर्व क्लेशहरे देवि (श्री)महाविष्णुस्वरूपिणी ।

भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ४॥

अन्तर्यामिस्वरूपेण स्थिते सर्वत्र सर्वगे ।

भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ५॥

भवनाश करे देवि भवभेषजदायिनी ।

भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ६॥

अविद्यापटलध्वंसि महानन्देऽभयप्रदे ।

भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ७॥

संसारतरणोपाये निर्जरैरूपसेविते ।

भुवनेश्वरी महाकालि मनोभीष्ट प्रदायिनी ॥ ८॥

जय जय अम्बिके सिद्धप्रदे । अभिष्टदायिनी मुक्तिप्रदे । अभयप्रदे भक्तकामदे । महानन्दे भवानी ।

सर्वव्यापके विष्णुरूपिणी । महाकाली दुःखहारिणी । अज्ञानपटलध्वंसकारिणी । देवी मृडानी सर्वगे ॥

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Image Credit: Instagram

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