आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पर्व मां आदिशक्ति को समर्पित है। इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ 06 जुलाई शनिवार के दिन से होने जा रहा है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा विशेष रूप से करने का विधान है। साथ ही अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ-साथ व्रत का उद्यापन विधिवत रूप से किया जाता है। बता दें, इस बार माता रानी घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। बता दें, सालभर में चार बार नवरात्रि आती है। जिसमें चैत्र और अश्विन माह में आने वाली नवरात्रि को महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा अगर आप किसी काम में सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं, तो गुप्त नवरात्रि के पर्व बेहद महत्वपूर्ण है। अब ऐसे में गुप्त नवरात्रि के नौ दिन विभिन्न प्रकार की दीपक जलाने का भी विशेष महत्व बताया गया है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
गुप्त नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा की जाती है, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व और स्वरूप होता है। इन नौ देवियों की पूजा के लिए, आप नौ अलग-अलग प्रकार के दीपक जला सकते हैं, जिनमें से प्रत्येक देवी का प्रतिनिधित्व करता है।
गुप्त नवरात्रि के पहले दिन घी का दीपक जलाएं। गुप्त नवरात्रि के पहले दिन घी का दीपक जलाने से देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। घी को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। गुप्त नवरात्रि के पहले दिन घी का दीपक जलाने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और धन-दौलत में वृद्धि होती है। घी को स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है। गुप्त नवरात्रि के पहले दिन घी का दीपक जलाने से आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है। वहीं इस नवरात्रि के दिन माता कालिके की पूजा करने के दौरान आप घी का दीपक जला सकते हैं।
गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन सरसो तेल का दीपक जलाएं। गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां तारा महाविद्या की पूजा की जाती है। इनकी पूजा में सरसों तेल का दीपक जलाने से लाभ हो सकता है। साथ ही व्यक्ति को मनवांछित फलों की भी प्राप्ति हो सकती है।
नवरात्रि के तीसरे दिन घी का दीपक जलाएं। गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन महाविद्या माता त्रिपुरा सुंदरी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इसलिए इनकी पूजा में घी का दीपक जलाएं।
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गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां भुवनेश्वरी की पूजा करने और गेहूं के आटे का दीपक जलाने से आपको आरोग्य, समृद्धि, और ज्ञान प्राप्त होगा।
माता छिन्नमस्ता की पूजा में घी का दीपक जलाना सबसे उपयुक्त माना जाता है। घी को शुद्ध और पवित्र माना जाता है, और यह देवी-देवताओं का प्रिय भोग भी माना जाता है। माता छिन्नमस्ता को रौद्र रूप माना जाता है, और घी का प्रकाश इनकी तेजस्विता का प्रतीक है। घी का दीपक जलाने से माता प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं।
गुप्त नवरात्रि के छठे त्रिपुर भैरवी माता की पूजा करें। साथ ही उनके सामने सरसो तेल का दीपक जलाएं। इससेलाभ हो सकता है।
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धूमावती माता को तंत्र शास्त्र में महाविद्याओं में से एक माना जाता है। इनकी पूजा करने से मोक्ष और भौतिक संपदा की प्राप्ति होती है। धूमावती माता की पूजा में दीपक जलाने का विशेष महत्व है। दीपक जलाने से देवी प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं। धूमावती माता के लिए आप घी का दीपक जला सकते हैं।
मां बगलामुखी की पूजा में घी का दीपक जलाना सबसे उत्तम माना जाता है। घी को शुद्ध और पवित्र माना जाता है, और यह देवी-देवताओं का प्रिय भोग भी माना जाता है। मां बगलामुखी को ज्ञान, वाणी, और विजय की देवी माना जाता है। घी का दीपक जलाने से मां प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं।
माता मातंगी और माता कमला देवी दोनों ही शक्ति और समृद्धि की देवी हैं। इनकी पूजा के लिए आप सरसो तेल का दीपक जला सकते हैं।
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