भगवान श्री गणेश को सभी देवी-देवताओं में सबसे प्रथम दर्जा दिया गया है और इसलिए उनकी पूजा भी सबसे पहले की जाती है। बुधवार का दिन उन्हें अर्पित है और दिन अगर आप गणेश जी के 108 नाम का जाप करती हैं, तो आपको जीवन में हर तरह का मान, सम्मान, खुशी और वैभव की प्राप्ति होगी। चलिए हम आपको गणेश जी के 108 नाम, उनका अर्थ और मंत्र बताते हैं।
भगवान श्री गणेश के 108 नाम का जाप
1- गजानन- जो गज के समान मुख वाला है।
मंत्र - ॐ गजाननाय नमः।
2- गणाध्यक्ष- जो देवगण के स्वामी हैं।
मंत्र- ॐ गणाध्यक्षाय नमः।
3-विघ्नराज- जो सारे विघ्नों को दूर करने वाले हैं।
मंत्र- ॐ विघ्नराजाय नमः।
4-विनायक- जो समस्त प्राणियों के स्वामी हैं।
मंत्र- ॐ विनायकाय नमः।
5-द्वैमातुर-जिनकी एक नहीं दो माताएं हैं।
6-द्विमुख- जिनके दो मुख हैं।
मंत्र-ॐ द्विमुखाय नमः।
7-प्रमुख- जो सृष्टि के मुख्य देव हैं।
मंत्र-ॐ प्रमुखाय नमः।
8-सुमुख- जो सुंदर मुख वाले हैं।
मंत्र-ॐ सुमुखाय नमः।
9-कृती-जो स्वयं सृष्टि स्वरूप हैं
मंत्र-ॐ कृतिने नमः।
10-सुप्रदीप- जो अज्ञान रूपी अंधकार को खत्म करते हैं।
मंत्र-ॐ सुप्रदीपाय नमः।
11-सुखनिधि-जो सुख का सागर हैं।
मंत्र-ॐ सुखनिधये नमः।
12-सुराध्यक्ष-जो देवताओं के अधिपति हैं।
मंत्र-ॐ सुराध्यक्षाय नमः।
13-सुरारिघ्न- जो शत्रुओं का संहार करते हैं।
मंत्र-ॐ सुरारिघ्नाय नमः।
14- महागणपति- जो सर्वशक्तिमान हैं।
मंत्र-ॐ महागणपतये नमः।
15-मान्य- जो संपूर्ण ब्रह्मांड में पूज्य हैं।
मंत्र-ॐ मान्याय नमः।
16-महाकाल-जो काल का स्वामी है।
मंत्र-ॐ महाकालाय नमः।
17- महाबल- जो अत्यधिक बलशाली हैं।
मंत्र-ॐ महाबलाय नमः।
18-हेरम्ब- माता का प्रिय पुत्र।
मंत्र-ॐ हेरम्बाय नमः।
19-लम्बजठर- जिसका पेट बड़ा होता है।
मंत्र-ॐ लम्बजठराय नमः।
20- ह्रस्वग्रीव-जो छोटी गर्दन वाला है।
मंत्र-ॐ ह्रस्वग्रीवाय नमः।
21-महोदर- जिसका पेट बड़ा हो।
मंत्र-ॐ महोदराय नमः।
22-मदोत्कट- जो सदैव उन्मुक्त रहने वाला होता है।
मंत्र-ॐ मदोत्कटाय नमः।
23-महावीर-जो बहुत वीर होता है।
मंत्र-ॐ महावीराय नमः।
24-मन्त्री-जो समस्त मन्त्रों का ज्ञाता हो।
मंत्र-ॐ मन्त्रिणे नमः।
25-मङ्गलस्वर-जिनका स्वर अत्यन्त मङ्गलमय हो।
मंत्र-ॐ मङ्गलस्वराय नमः।
26-प्रमध- जो सृष्टि के समस्त अवयवों के मूल हैं।
मंत्र-ॐ प्रमधाय नमः।
27-प्रथम-जो सर्वप्रथम पूजे जाने वाले हैं
मंत्र-ॐ प्रथमाय नमः।
28-प्राज्ञ-जो अत्यधिक बुद्धिमान हैं
मंत्र-ॐ प्राज्ञाय नमः।
29- विघ्नकर्ता- जो विघ्न उत्पन्न करने वाले हैं
मंत्र-ॐ विघ्नकर्त्रे नमः।
30-विघ्नहर्ता-जो विघ्न नष्ट करने वाले हैं
मंत्र-ॐ विघ्नहर्त्रे नमः।
31-विश्वनेता-जो सम्पूर्ण सृष्टि पर अपनी दृष्टि रखने वाले हैं
मंत्र-ॐ विश्वनेत्रे नमः।
32-विराट्पति-जो विराट् सृष्टि के स्वामी हैं
मंत्र-ॐ विराट्पतये नमः।
33-श्रीपति-जो सौभाग्य प्रदान करता हो।
मंत्र-ॐ श्रीपतये नमः।
34-वाक्पति-जो वाणी के देवता हैं
मंत्र-ॐ वाक्पतये नमः।
35-शृङ्गारी- जो लाल सिंदूर लगाता है।
मंत्र-ॐ शृङ्गारिणे नमः।
36-अश्रितवत्सल-जो शरणार्थियों पर करुणा बरसाता है।
ॐ अश्रितवत्सलाय नमः।
37- शिवप्रिय- जो भगवान शिव को अति प्रिय है।
मंत्र-ॐ शिवप्रियाय नमः।
38-शीघ्रकारी- जो शीघ्र मनोकामना पूरी करता है।
मंत्र-ॐ शीघ्रकारिणे नमः।
39- शाश्वत- जो अपरिवर्तनशील है।
मंत्र-ॐ शाश्वताय नमः।
40- बल- जिसका स्वरूप बल जैसा हो।
मंत्र-ॐ बलाय नमः।
41-बलोत्थित- जिनके बल में निरन्तर वृद्धि होती है।
मंत्र-ॐ बलोत्थिताय नमः।
42- भवात्मज- जो सृष्टि के पुत्र के रूप में पूजे जाने वाले हैं
मंत्र-ॐ भवात्मजाय नमः।
43- पुराणपुरुष-जो आदि पुरुष एवं पुराणों के ज्ञाता हैं
मंत्र-ॐ पुराणपुरुषाय नमः।
44- पूषा- जो प्राणियों का पोषण करते हैं
मंत्र-ॐ पूष्णे नमः।
45- पुष्करोत्षिप्तवारी- जो कमल के सरोवर में खेलता है।
मंत्र-ॐ पुष्करोत्षिप्तवारिणे नमः।
46- अग्रगण्य- जो सभी देवगणों में श्रेष्ठ हैं।
मंत्र-ॐ अग्रगण्याय नमः।
47- अग्रपूज्य- सर्वप्रथम जिनकी पूजा की जाती है
मंत्र-ॐ अग्रपूज्याय नमः।
48- अग्रगामी- जो नेतृत्व करने वाला होता है।
मंत्र-ॐ अग्रगामिने नमः।
49-मन्त्रकृत्- जो मन्त्रों की रचना करने वाला होता है।
मंत्र-ॐ मन्त्रकृते नमः।
50- चामीकरप्रभ- जिसकी आभा सूर्य के समान है।
मंत्र-ॐ चामीकरप्रभाय नमः।
51-सर्व- जो सम्पूर्ण सृष्टि के स्वरूप में स्थित हैं
मंत्र-ॐ सर्वाय नमः।
52-सर्वोपास्य- जो समस्त सृष्टि में पूज्य हैं
मंत्र-ॐ सर्वोपास्याय नमः।
53-सर्वकर्ता- जो समस्त कार्यों के कर्ता है।
मंत्र-ॐ सर्वकर्त्रे नमः।
54-सर्वनेता- जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की गतिविधियों पर दृष्टि रखने वाले हैं
मंत्र-ॐ सर्वनेत्रे नमः।
55-सर्वसिद्धिप्रद- जो समस्त प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाले है।
मंत्र-ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः।
56- सिद्धि- जो स्वयं सिद्ध हैं
मंत्र-ॐ सिद्धये नमः।
57- पञ्चहस्त- जो पांच हाथों वाला है।
मंत्र-ॐ पञ्चहस्ताय नमः।
58-पार्वतीनन्दन-जो माता पार्वती के प्रिय पुत्र हैं
मंत्र-ॐ पार्वतीनन्दनाय नमः।
59-प्रभु- जो सभी का पिता है।
मंत्र-ॐ प्रभवे नमः।
60- कुमारगुरु- जो कुमार है।
मंत्र-ॐ कुमारगुरवे नमः।
61-अक्षोभ्य- जो अनश्वर है।
मंत्र-ॐ अक्षोभ्याय नमः।
62- कुञ्जरासुरभञ्जन- जो कुञ्जरासुर का वध करने वाले हैं।
मंत्र-ॐ कुञ्जरासुरभञ्जनाय नमः।
63- प्रमोद- जो सदैव प्रसन्न रहने वाले हैं
मंत्र-ॐ प्रमोदाय नमः।
64- मोदकप्रिय- जिन्हें मोदक अत्यन्त प्रिय हैं।
मंत्र-ॐ मोदकप्रियाय नमः।
65- कान्तिमान्- जिनके मुखमण्डल पर अद्भुत तेज विद्यमान है।
मंत्र-ॐ कान्तिमते नमः।
66-धृतिमान्- जो धैर्यशाली हैं।
मंत्र-ॐ धृतिमते नमः।
67- कामी- जो कामनाओं की पूर्ति करने वाले है।
मंत्र-ॐ कामिने नमः।
68- कपित्थपनसप्रिय- जिन्हें कैथा फल प्रिय है।
मंत्र-ॐ कपित्थपनसप्रियाय नमः।
69-ब्रह्मचारी- जो ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने वाले हैं।
मंत्र-ॐ ब्रह्मचारिणे नमः।
70-ब्रह्मरूपी- जो स्वयं ब्रह्म स्वरूप हैं
मंत्र-ॐ ब्रह्मरूपिणे नमः।
71-ब्रह्मविद्यादिदानभू- जो ब्रह्मविद्या के स्वामी हैं।
मंत्र-ॐ ब्रह्मविद्यादिदानभुवे नमः।
72- जिष्णु- जो सदैव विजय प्राप्त करने वाले हैं
मंत्र-ॐ जिष्णवे नमः।
73- विष्णुप्रिय- जो भगवान विष्णु को प्रिय हैं
मंत्र-ॐ विष्णुप्रियाय नमः।
74- भक्तजीवित- जो भक्तों के जीवन की रक्षा करने वाले हैं
मंत्र-ॐ भक्तजीविताय नमः।
75- जितमन्मथ- जो मन को वश में करने वाले हैं
मंत्र-ॐ जितमन्मथाय नमः।
76- ऐश्वर्यकारण- जो ऐश्वर्य के स्वामी एवं दाता हैं
मंत्र-ॐ ऐश्वर्यकारणाय नमः।
77- ज्यायस्- जो सर्वोच्च एवं सर्वश्रेष्ठ हैं।
मंत्र-ॐ ज्यायसे नमः।
78-यक्षकिन्नरसेवित- यक्ष एवं किन्नर जिनकी सेवा में तत्पर हैं
मंत्र-ॐ यक्षकिन्नरसेविताय नमः।
79- गङ्गासुत- जो मां के पुत्र हैं
मंत्र-ॐ गङ्गासुताय नमः।
80- गणाधीश- जो समस्त गणों के नायक हैं।
मंत्र-ॐ गणाधीशाय नमः।
81-गम्भीरनिनद- जो गम्भीर नाद उत्पन्न करने वाले हैं
मंत्र-ॐ गम्भीरनिनदाय नमः।
82-वटु- जो बालस्वरूप में विराजमान हैं।
मंत्र-ॐ वटवे नमः।
83- अभीष्टवरद- जो मनोवांछित वर प्रदान करने वाले हैं।
मंत्र-ॐ अभीष्टवरदाय नमः।
84- ज्योतिस्- जो ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता हैं।
मंत्र-ॐ ज्योतिषे नमः।
85- भक्तनिधि- जो भक्तों के सर्वस्व हैं
मंत्र-ॐ भक्तनिधये नमः।
86- भावगम्य- जिन्हें मात्र भक्तिभाव द्वारा प्राप्त करना सम्भव है।
मंत्र-ॐ भावगम्याय नमः।
87- मङ्गलप्रद- जो जीवन में मङ्गल प्रदान करने वाले हैं।
मंत्र-ॐ मङ्गलप्रदाय नमः।
88- अव्यक्त- मूल प्रकृति जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि उत्पन्न हुई है
मंत्र-ॐ अव्यक्ताय नमः।
89- अप्राकृतपराक्रम- जो अतुलनीय पराक्रम के स्वामी हैं।
मंत्र-ॐ अप्राकृतपराक्रमाय नमः।
90- सत्यधर्मी- जो सत्य के पथ पर चलने वाले हैं।
मंत्र-ॐ सत्यधर्मिणे नमः।
91- सखा- जो भक्तों के सखा व मित्र हैं।
मंत्र-ॐ सखये नमः।
92- सरसाम्बुनिधि- जिन्हें दूर्वा घास प्रिय है
मंत्र-ॐ सरसाम्बुनिधये नमः।
93- महेश- जो देवताओं में सबसे महान हैं।
मंत्र-ॐ महेशाय नमः।
94- दिव्याङ्ग- जिनके समस्त अङ्ग दिव्य एवं तेजोमय हैं।
मंत्र-ॐ दिव्याङ्गाय नमः।
95-मणिकिङ्किणीमेखल- जो मणियुक्त मेखला धारण करने वाले हैं।
मंत्र-ॐ मणिकिङ्किणीमेखलाय नमः।
96- समस्तदेवतामूर्ति- समस्त देव जिनकी उपासना करते हैं
मंत्र-ॐ समस्तदेवतामूर्तये नमः।
97- सहिष्णु- जो शान्त एवं सहनशील स्वभाव वाले हैं।
मंत्र-ॐ सहिष्णवे नमः।
98- सततोत्थित- जो सदैव प्रगति करने वाले हैं
मंत्र-ॐ सततोत्थिताय नमः।
99-विघातकारी- जो भक्तों की सुरक्षा करने वाले हैं
मंत्र-ॐ विघातकारिणे नमः।
100-विश्वग्दृक्- जो सम्पूर्ण विश्व के क्रियाकलापों पर दृष्टि रखने वाले हैं।
मंत्र-ॐ विश्वग्दृशे नमः।
101-विश्वरक्षाकृत्- जो सृष्टि की रक्षा करने वाले हैं।
मंत्र-ॐ विश्वरक्षाकृते नमः।
102-कल्याणगुरु- जो गुरु के रूप में कल्याण करने वाले हैं
मंत्र-ॐ कल्याणगुरवे नमः।
103- उन्मत्तवेष- जो सदैव आनन्दमग्न रहने वाले हैं।
मंत्र-ॐ उन्मत्तवेषाय नमः।
104-अपराजित- जिन्हें पराजित करना असम्भव है।
मंत्र-ॐ अपराजिते नमः।
105- समस्तजगदाधार- जो समस्त ब्रह्माण्ड को धारण करने वाले हैं
मंत्र-ॐ समस्तजगदाधाराय नमः।
106-सर्वैश्वर्यप्रद- जो नाना प्रकार के धन-ऐश्वर्य प्रदान करने वाले हैं।
मंत्र-ॐ सर्वैश्वर्यप्रदाय नमः।
107- आक्रान्तचिदचित्प्रभु- जो समस्त सृष्टि के ज्ञान एवं बुद्धि के स्रोत हैं
मंत्र-ॐ आक्रान्तचिदचित्प्रभवे नमः।
108-श्री विघ्नेश्वर- जो समस्त विघ्नों को नष्ट करने वाले हैं
मंत्र-ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः।
बुधवार के दिन आपको भी यह जाप जरूर करने चाहिए । इस लेख को शेयर और लाइक करें। इसी तरह और भी नाम, जाप,मंत्र और पूजा के बारे में जानने की लिए पढ़ती रहें हरजिंदगी।
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