कृष्ण छठी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के छठे दिन मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप के प्रति भक्ति और प्रेम को दर्शाता है। इस दिन नन्हे कान्हा को नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और काजल भी लगाया जाता है ताकि लाला को किसी की नजर न लगे। साथ ही, कृष्ण छठी पर कान्हा को कढ़ी-चावल का विशेष भोग भी लगाया जाता है। यह पर्व इस साल 21 अगस्त को मनाया जाएगा। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि कृष्ण छठी के दिन कैसे करें नन्हे कान्हा की पूजा और क्या है पूजन सामग्री।
कृष्ण छठी की पूजा सामग्री
कृष्ण छठी की पूजा सामग्री का महत्व यह है कि हर वस्तु भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप के प्रति प्रेम और भक्ति को दर्शाती है। कढ़ी-चावल का भोग उनके बचपन के सादे भोजन का प्रतीक है, जबकि काजल उन्हें बुरी नजर से बचाने और उनके श्रृंगार को पूर्ण करने के लिए लगाया जाता है, ठीक जैसे किसी नवजात शिशु को लगाया जाता है।
- लड्डू गोपाल या नन्हे कान्हा की प्रतिमा
- जगह की शुद्धि के लिए गंगाजल
- स्नान कराने के लिए पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, बूरा)
- पोछने के लिए साफ कपड़ा
- श्रृंगार के लिए नए और सुंदर वस्त्र
- आभूषण, मुकुट, बांसुरी
- इत्र या चंदन, काजल, फूलों की माला
- पूजा के लिए कुमकुम, चंदन, हल्दी
- अक्षत, धूप, अगरबत्ती
- दीपक और घी या तेल और माचिस
- एक छोटी घंटी
- भोग के लिए कढ़ी और चावल (मुख्य प्रसाद)
- माखन, मिश्री, फल, मिठाई, तुलसी के पत्ते, जल का लोटा
कृष्ण छठी की पूजा विधि
कृष्ण छठी की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। यह पूजा विशेष रूप से बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन में सफलता के लिए की जाती है।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को साफ करें और उसे फूलों और रंगोली से सजाएं।
- सभी पूजा सामग्री, जैसे धूप, दीपक, फूल, प्रसाद आदि एकत्रित करके रख लें। एक थाली में बाल गोपाल की मूर्ति रखें।
- मूर्ति को गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान के बाद, साफ कपड़े से मूर्ति को पोंछें और उसे नए वस्त्र पहनाएं।
- बाल गोपाल का सुंदर श्रृंगार करें। उन्हें काजल लगाएं, माथे पर तिलक लगाएं और आभूषण पहनाएं।
- नन्हे कान्हा को को माला, मुकुट और बांसुरी से सजाएं। एक घी का दीपक और अगरबत्ती या धूप जलाएं।
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- कान्हा को पुष्प और माला अर्पित करें। फिर 'ॐ कृष्णाय नमः' मंत्र का जाप करते हुए कान्हा का ध्यान करें।
- पूजा के बाद, नन्हे कान्हा को कढ़ी-चावल का भोग लगाएं क्योंकि यह इस दिन का मुख्य प्रसाद माना जाता है।
- भोग के साथ माखन-मिश्री और अन्य मिठाइयां भी अर्पित करें। भोग में तुलसी का पत्ता डालना न भूलें।
- भोग लगाने के बाद कान्हा की आरती गाएं। आरती के बाद, सभी में प्रसाद वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- याद रखें कि कृष्ण की छठी के दिन व्रत कथा पढ़ना न भूलें। इसके बिना आपकी पूजा पूर्ण नहीं होगी।
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