Adharam Madhuram Lyrics on Krishna Chhathi 2025 : कृष्‍ण छठी के दिन क्‍यों करें 'मधुराष्टकम् स्त्रोत' का पाठ? जानें इसके शुभ फल और नियम

कृष्ण छठी 2025 के दिन करें मधुराष्टकम् स्तोत्र का पाठ और पाएं भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा। जानिए 'अधरं मधुरं' स्तोत्र का भावार्थ, पाठ के नियम और इससे मिलने वाले शुभ फल। यह स्तोत्र न केवल मन को शांति देता है, बल्कि जीवन की बाधाएं दूर कर मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
krishna chhathi

16 अगस्‍त के दिन भगवान श्री कृष्‍ण का जन्‍म हो चुका है और अब 21 अगस्‍त को उनकी छठी है। भगवान श्री कृष्‍ण की छठी को ढेर सारे उत्‍साह और धूम के साथ मनाया जाता है। इस दिन लड्डू गोपल का विशेष श्रृंगार होता है और अलग तरह का भोग लगाया जाता है। इतना ही नहीं लड्डू गोपाल की विशेष आरती होती हैं, मगर आरती के साथ-साथ अगर आप छठी के दिन मधुराष्टकम् स्त्रोत का पाठ करती हैं, तो श्री कृष्‍ण की विशेष कृपा की पात्र बनती हैं। इस विषय में हमारी बातचीत पंडित मनीष शर्मा से हुई। वह कहते हैं " जब घर में कोई शिशु का जन्‍म होता है और उसकी छठी मनाई जाती है, तब गीत गए जाते हैं, घर में ढोलक बजाई जाती है। ऐसे में जब घर में लल्‍ला का जन्‍म होता है तब भी कुछ विशेष होना चाहिए। इसलिए अगर आप मधुराष्टकम् स्त्रोत का पाठ करती हैं, तो यह बहुत ही शुभ होता है।"

मधुराष्टकम् स्त्रोत का अर्थ क्‍या है?

हम सभी ने कभी न कभी "अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरम्। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिकं मधुरं मधुरम्। " मगर क्‍या आपमें से कोई इसका अर्थ जानता है? पंडित जी कहते हैं, "मधुराष्टकम् स्रोत में भगवान श्री कृष्‍ण की बाल लीलाएं, उनके सभी स्‍वरूप का वर्णन किया गया है।" यह स्रोत पढ़कर आप श्री कृष्‍ण को प्रसन्‍न कर सकती हैं।

Laddu Gopal worship

मधुराष्टकम् स्तोत्र पाठ के नियम और लाभ

मधुराष्टकं भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति में रचित एक सुंदर भक्ति स्तोत्र है। इसका पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए जिससे इसका पूर्ण फल प्राप्त हो सके-

  • पाठ से पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहनना चाहिए। पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें और वहां दीपक जलाएं। भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने पुष्प और फल अर्पित करें। फिर शांत मन और एकाग्रता के साथ मधुराष्टकं का पाठ करें। पाठ पूरा होने के बाद श्रीकृष्ण की आरती जरूर करें।
  • मधुराष्टकं का पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह भक्ति को गहरा करता है और मन को शांति प्रदान करता है। इसके नियमित पाठ से मन के नकारात्मक विचार दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
  • जो व्यक्ति श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसकी इच्छाएं भी भगवान पूरी करते हैं। जीवन में आने वाली परेशानियां कम होती हैं और सफलता की राह खुलती है।
  • इसके अलावा, यह स्तोत्र मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है और व्यक्ति को भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित करता है।

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