करवा चौथ का व्रत भारतीय परंपरा में प्रेम, विश्वास और त्याग का सुंदर प्रतीक माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना में पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं। इस दिन पत्नियां सच्चे मन से अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन करवा चौथ का पूजन करने के साथ करवा चौथ की कथा सुनने और उसका विधिवत पाठ करने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। यह कथा न केवल एक पौराणिक प्रसंग है, बल्कि इसमें छिपा संदेश एक महिला के समर्पण के भाव को भी दिखाता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इन कथाओं के बारे में विस्तार से।
एक समय की बात है एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री थी। 7 भाइयों की अकेली बहन होने की वजह से उसे सभी भाई बहुत प्रेम करते थे। एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को साहूकार की पत्नी समेत उसकी सातों बहुओं और पुत्री ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। पूरे दिन उपवास करने की वजह से भाइयों की एकलौती बहन व्याकुल हो रही थी और रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन का आग्रह किया। इस बात पर बहन ने भोजन से मना कर दिया क्योंकि उसका करवा चौथ का निर्जला उपवास था। बहन ने बताया कि वो अन्न और जल तभी ग्रहण कर सकती है जब चंद्रमा निकल आए। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे और वो बहन को भूख से व्याकुल देखने में असमर्थ थे। सभी भाइयों ने विचार किया कि अगर किसी कारण से चंद्रमा जल्दी निकल आएगा तो बहन व्रत खोलकर पानी और अन्न ग्रहण कर लेगी। इस वजह से साहूकार के बेटे घर के बाहर गए और वहां एक पेड़ पर चढ़कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा कि देखो बहन, चांद निकल आया है और तुम अब चंद्र दर्शन करके अपना व्रत खोल सकती हो।
साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से भी चंद्रमा के दर्शन करके व्रत खोलने का आग्रह किया, लेकिन उनकी भाभियों ने इस बात से मना कर दिया और कहा कि अभी चांद नहीं निकला है बल्कि उनके भाइयों ने चंद्रमा का भ्रम दिखाया है जिससे उनकी बहन अपना व्रत खोल सके। बहन ने भाभियों की बात को अनसुना कर दिया और अपने भाइयों की बात मानकर नकली चांद को अर्घ्य देकर अन्न जल ग्रहण कर लिया। इस प्रकार भाइयों की बहन का करवा चौथ का व्रत टूट गया और भगवान गणेश साहूकार की बेटी से अप्रसन्न हो गए। व्रत बीच में ही टूटने की वजह से साहूकार की बेटी का पति बीमार हो गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में व्यय होने लगा। साहूकार की बेटी को जब अपनी गलती का अनुमान हुआ तब उसे इस बात का पश्चाताप हुआ। उसने निश्छल भाव से गणेश जी की प्रार्थना की और उनसे क्षमा मांगी। यही नहीं साहूकार की बेटी ने विधि-विधान के साथ चतुर्थी का व्रत आरंभ किया।
साहूकार की बेटी की निश्छल भक्ति को देखकर गणेश जी उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान दे दिया। साथ ही, उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।
जैसे साहूकार की बेटी के पति को व्रत के प्रभाव से जीवनदान मिला वैसे ही गणपति भगवान और करवा माता सभी के पतियों को दीर्घायु का वरदान दें।
करवा माता की जय !
बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गांव में एक अंधी बुढ़िया रहती थी। उसका एक बेटा और बहू थे, जो बहुत गरीब थे। आंखों से दिखाई न देने की वजह से बुढ़िया की दुनिया भले ही अंधेरे में डूबी थी, लेकिन उसका दिल भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा से भरा था। हर सुबह वह मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी, गणपति के सामने दीपक जलाती थी और मन ही मन प्रार्थना करती थी कि 'हे गणेश जी, मेरे घर में सुख-शांति बनाए रखना।' एक दिन गणेश जी उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसके सामने प्रकट हुए और बोले, 'मां, मैं तेरी पूजा से प्रसन्न हूं, आप जो चाहे वो वरदान मांग लें।' बुढ़िया ने हंसते हुए कहा, 'भगवान, मुझे तो यह भी नहीं पता कि क्या मांगना चाहिए।' गणेश जी बोले, तो अपने बेटा-बहू से पूछ ले।” बुढ़िया ने जब बेटे से पूछा तो उसने कहा, 'मां धन मांग लो।' बहू ने कहा, 'पोता मांग लो।
फिर उसने पड़ोसियों से पूछा तो बोले, मां तू तो अंधी है, तू अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे ताकि बचे हुए दिन आराम से देख सके।' बुढ़िया रातभर सोचती रही 'क्यों न ऐसा वर मांगूं जिसमें सबका भला हो। अगले दिन गणेश जी फिर से प्रकट हुए और बोले, आपको क्या वरदान चाहिए?
बुढ़िया ने हाथ जोड़कर कहा, 'हे प्रभु मुझे नौ करोड़ की माया, निरोगी काया, अमर सुहाग, आंखों में प्रकाश, नाती-पोते और पूरे परिवार को सुख-संपत्ति दो। और अंत में मोक्ष का आशीर्वाद भी देना।' गणेश जी मुस्कुराए और बोले, 'अरे मां, तूने तो सब कुछ ही मांग लिया! पर तेरी भक्ति के आगे मैं भी हार गया। जैसा तूने कहा, वैसा ही होगा। इतना कहकर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गए। उस दिन से बुढ़िया के घर में कभी कमी नहीं हुई।
हे गणपति महाराज जैसे आपने उस वृद्धा की हर मनोकामना पूरी की, वैसे ही अपने हर भक्त पर कृपा बनाए रखें।
पुराणों के अनुसार एक समय की बात है करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित एक गांव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। एक दिन जब वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया और धोबी का पैर अपने दांतों में दबाकर यमलोक की ओर जाने लगा। वृद्ध पति यह देख घबराया और जब उससे कुछ कहते नहीं बना तो वह करवा! करवा कहकर अपनी पत्नी को बुलाने लगा।
पति की पुकार सुनकर करवा वहां पहुंची, उस समय मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था। तब करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के द्वार पहुंची। उसने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की गुहार लगाई और बोली हे प्रभु मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़ लिए है। आप मगरमच्छ को इस अपराध के दंड-स्वरूप नरक भेज दें।
करवा की पुकार सुन यमराज ने कहा- अभी मगर की आयु शेष है, मैं उसे अभी यमलोक नहीं भेज सकता। इस पर करवा ने कहा- अगर आपने मेरे पति को बचाने में मेरी सहायता नहीं कि तो मैं आपको श्राप दूंगी और नष्ट कर दूंगी। करवा का साहस देख यमराज भी डर गए और मगर को यमपुरी भेज दिया। साथ ही करवा के पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया। ऐसी मान्यता है कि उस दिन कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत रखने का प्रचलन आया। जिसे आज भी सुहागिन महिलाएं पूरी भक्ति भाव के साथ करती है और भगवान से अपनी पति की दीर्घायु का आशीर्वाद लेती हैं।
इसे भी पढ़ें:
करवा चौथ की पूजा में क्या-क्या सामान लगता है? यहां जानें पूरी लिस्ट
क्या अविवाहित लड़कियां रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत? पंडित जी से जानें सही उत्तर
अगर आप भी करवा चौथ की ये कथाएं पढेंगी तो आपके पति को भी दीर्घायु का आशीर्वाद मिलेगा और आपका अखंड सौभाग्य बना रहेगा। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Images: Gemini.com
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।