जून की संकष्टी चतुर्थी के दिन इस विधि से करें गणेश पूजन, जानें सामग्री और मंत्र

ऐसा माना जाता है कि कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश का स्वरूप आधा कृष्ण वर्ण यानी कि नीला होता है और आधा भूरा होता है। ऐसे में इस स्वरूप के दर्शन एवं पूजन से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और सौभाग्य मिलता है।
june sankashti chaturthi 2025 puja vidhi

जून महीने की संकष्टी चतुर्थी इस साल 14 जून, शनिवार को मनाई जाएगी। इसे कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश का स्वरूप आधा कृष्ण वर्ण यानी कि नीला होता है और आधा भूरा होता है। ऐसे में इस स्वरूप के दर्शन एवं पूजन से जहां एक ओर व्यक्ति को सुख-समृद्धि और सौभाग्य मिलता है तो वहीं, दूसरी ओर इस स्वरूप के प्रभाव से नकारात्मकता नष्ट हो जाती है और ग्रहों की शुभता भी बनी रहती है। ऐसे में आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जून की संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश के कृष्णपिंगल स्वरूप की पूजा कैसे करें, क्या है पूजन सामग्री और इस दिन किन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

जून संकष्टी चतुर्थी 2025 पूजा सामग्री

june sankashti chaturthi 2025 ki samagri

भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र
लाल या पीला कपड़ा
गंगाजल या शुद्ध जल
चंदन, कुमकुम (रोली), हल्दी
जनेऊ
लाल फूल (गुड़हल विशेष रूप से), गेंदा, चंपा आदि
दूर्वा (दूब घास) की 21 गांठें
धूप, दीप
मोदक, लड्डू, फल, मिठाई (तिल से बनी चीजें विशेष रूप से)
तांबे का लोटा या अन्य बर्तन (चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए)
दूध, चावल
कपूर
संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा पुस्तक

जून संकष्टी चतुर्थी 2025 पूजा विधि

जून की संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ करें। अब हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर भगवान गणेश के सामने व्रत का संकल्प लें। संकल्प में अपनी मनोकामना कहें और यह निश्चय करें कि आप पूरे दिन व्रत का पालन करेंगे।

एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अगर संभव हो तो मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। फिर गंगाजल या शुद्ध जल से गणेश जी की प्रतिमा का अभिषेक करें। फिर पंचामृत से अभिषेक कर दोबारा जल से स्नान कराएं।

गणेश जी को नए वस्त्र अर्पित करें। यदि वस्त्र न हों तो कलावा भी अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद चंदन, कुमकुम और हल्दी से तिलक करें। गणेश जी को लाल रंग के फूल, विशेष रूप से गुड़हल का फूल अत्यंत प्रिय है। इसके अलावा गेंदा, चंपा आदि सुगंधित फूल भी चढ़ाएं। सबसे महत्वपूर्ण है दूर्वा।

गणेश जी को 21 गांठों वाली दूर्वा की माला अर्पित करें। धूप और दीपक जलाएं। भगवान गणेश को मोदक और लड्डू बहुत प्रिय हैं इसलिए उन्हें मोदक, लड्डू, फल और तिल से बनी चीजें अर्पित करें। तिल के लड्डू विशेष रूप से चढ़ाए जाते हैं। अब गणेश जी के मंत्रों का जाप करें।

इसके बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। कपूर के साथ घी में डूबी हुई बत्तियां जलाकर गणेश जी की आरती करें। आरती के बाद हाथों में फूल लेकर गणेश जी के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करें और उनकी परिक्रमा करें।

संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा का दर्शन और उन्हें अर्घ्य देना बहुत महत्वपूर्ण होता है। रात में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को तांबे के कलश से जल अर्पित करें। इसके बाद, चंद्रमा के मंत्रों का जाप करें। चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। आप फलाहार कर सकते हैं।

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जून संकष्टी चतुर्थी 2025 पूजा मंत्र

june sankashti chaturthi 2025 ke mantra

'ॐ गं गणपतये नमः' यह सबसे सरल और शक्तिशाली गणेश मंत्र है। इसका जाप करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं, मन को शांति मिलती है और व्यक्ति को ज्ञान तथा बुद्धि की प्राप्ति होती है। यह किसी भी नए कार्य की शुरुआत में सफलता सुनिश्चित करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है।

'वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥' यह मंत्र भगवान गणेश के विशाल और तेजस्वी स्वरूप का वर्णन करता है। इसका जाप करने से सभी कार्य बिना किसी बाधा के सफलतापूर्वक पूरे होते हैं। यह मंत्र आत्मविश्वास बढ़ाता है और सफलता की राह आसान बनाता है।

'ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥' यह गणेश गायत्री मंत्र बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि के लिए बहुत प्रभावी है। इसका जाप करने से व्यक्ति को सही और गलत का निर्णय लेने में मदद मिलती है, उसकी स्मरण शक्ति और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। आध्यात्मिक उन्नति होती है।

'ॐ सों सोमाय नमः' यह चंद्रमा का सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है। इसका जाप करने से मन शांत रहता है, भावनात्मक संतुलन बना रहता है और मानसिक तनाव दूर होता है। यह नींद संबंधी समस्याओं को दूर करने और अच्छी नींद लाने में भी सहायक होता है।

'दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ॥' यह मंत्र चंद्रमा के दिव्य स्वरूप का वर्णन करता है। इसका जाप करने से चंद्रमा से संबंधित दोषों का निवारण होता है जैसे मानसिक अस्थिरता, अनिद्रा या मां के साथ संबंधों में समस्या। यह सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि करता है।

'ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्' यह चंद्रमा गायत्री मंत्र मन की शांति, एकाग्रता और आंतरिक शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। यह चंद्रमा के सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाता है और नकारात्मक प्रभावों को कम करता है। व्यक्ति को जीवन में स्थिरता आती है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • जून की संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश को क्या भोग लगायें? 

    जून की संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश को केसर की खीर का विशेष रूप से भोग लगाया जाता है।