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Gayatri Mantra: रामायण से कैसे बना गायत्री मंत्र? जानें किसने की थी रचना

गायत्री मंत्र का जाप करने से मनुष्य के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, मानसिक तनाव कम होता है, जीवन में शांति एवं समृद्धि आती है।
Editorial
Updated:- 2025-04-21, 16:27 IST

गायत्री मंत्र हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली मंत्र है, जिसका विशेष महत्व है। यह मंत्र भगवान सूर्य को समर्पित होता है और आत्मा के शुद्धिकरण, मानसिक शांति, और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। गायत्री मंत्र का उचारण व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। यह मंत्र ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के तत्वों से जुड़ा हुआ है।

इसका उद्देश्य साधक को आत्मज्ञान, तात्त्विक समझ और ब्रह्मा की साक्षात प्राप्ति की ओर अग्रसर करना है। गायत्री मंत्र का जाप करने से मनुष्य के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, मानसिक तनाव कम होता है, जीवन में शांति एवं समृद्धि आती है। इस मंत्र के नियमित जाप से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें गायत्री मंत्र की उत्पत्ति के बारे में बताया।

रामायण से कैसे बना गायत्री मंत्र?

kya gayatri mantra ko ramayan se banaya gya hai

रामायण हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक है, जिसमें भगवान राम और देवी सीता के जीवन की कथा है। इस ग्रंथ में बताया गया है कि कैसे भगवान राम ने रावण जो बुराई का प्रतीक था, उसका वध कर धर्म विजय प्राप्त की। रामायण में कुल सात अध्याय हैं और इसमें लगभग 24,000 श्लोक हैं।

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रामायण में एक राजा, आदर्श पिता, आदर्श पुत्र, आदर्श पत्नी, आदर्श भाई और आदर्श सेवक के रूप में रिश्तों और उनके कर्तव्यों का वर्णन किया गया है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण को आदिकाव्य कहा जाता है, जिसमें 'आदि' का अर्थ है 'प्रथम' और 'काव्य' का अर्थ है 'कविता'।

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इसी दिव्य रामायण से बना था गायत्री मंत्र जिसकी रचना भगवान श्री राम के कुल गुरु ऋषि विश्वामित्र ने की थी। असल में रामायण में मौजूद 24,000 श्लोकों से ही गायत्री मंत्र को बनाया गया था। रामायण के हर 1000 श्लोकों के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र को रचा गया था।

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गायत्री मंत्र 'ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्' में 24 अक्षर हैं। ऐसे में हर हजार श्लोकों के बाद के पहले अक्षर को जोड़ा जाए तो 24 अक्षरों का समूह बनता है और इसी से उत्पत्ति हुई गायत्री मंत्र की जिसे ब्रह्म मुहूर्त में जपना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।

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