हिंदू धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत मां दुर्गा को समर्पित है और माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई जातक सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति को उत्तम परिणाम मिल सकते हैं और व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो सकती है। अब ऐसे में इस साल मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और व्रत पारण विधि नियम क्या है? इन सभी सवालों के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा? (Masik Durga Ashtami Vrat Kab Hai 2025)
मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 3 जून 2025, मंगलवार को रखा जाएगा। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 3 जून 2025 को रात 09 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 3 जून को ही रखा जा रहा है।
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? (Durgashtami Puja Muhurat 2025
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त के बारे में जानकर ही पूजा-पाठ करें।
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 03 बजकर 44 मिनट से 04 बजकर 26 मिनट तक
- प्रातः सन्ध्या - सुबह 04 बजकर 05 मिनट से 05 बजकर 07 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 29 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 06 बजकर 43 मिनट से 07 बजकर 04 मिनट तक
- सायाह्न सन्ध्या - शाम 06 बजकर 45 मिनट से 07 बजकर 47 मिनट तक
- अमृत काल- रात 08 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 05 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 35 मिनट से 12 बजकर 17 मिनट तक
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा किस विधि से करें?
- मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां दुर्गा को लाल रंग प्रिय है, इसलिए लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- हाथ में गंगाजल, चावल और फूल लेकर मां दुर्गा का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- मां दुर्गा को जल, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल आदि से अभिषेक करें।
- मां दुर्गा को लाल चुनरी, रोली, कुमकुम, अक्षत, लाल फूल, माला, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। उन्हें सिंदूर, रोली, चंदन से तिलक लगाएं और सोलह श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
- दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र या देवी कवच का पाठ करें।
- दुर्गाष्टमी पर हवन करना बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन हवन विशेष रूप से करें।
- आखिर में मां दुर्गा की आरती करें।
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मासिक दुर्गाष्टमी के दिन व्रत पारण नियम
- व्रत के अगले दिन यानी कि नवमी तिथि को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- स्नान के बाद घर के मंदिर में मां दुर्गा की दोबारा पूजा करें। मां को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- पारण में सबसे पहले सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- व्रत का पारण करने से पहले, अपनी सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन, फल या दक्षिणा का दान अवश्य करें।
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