जून में कालाष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा, जानें पूजा मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में कालाष्टमी का व्रत भगवान भैरव को समर्पित है। इस दिन विशेष रूप ले भैरव बाबा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। अब ऐसे में इस साल कालाष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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हिंदू धर्म में कालाष्टमी का व्रत भगवान शिव के रौद्र रूप भगवान काल भैरव को समर्पित है। यह व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के भय, संकट और नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है। यह व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने और उनसे सुरक्षा पाने के लिए भी किया जाता है। कहा जाता है कि कालाष्टमी का व्रत राहु और शनि जैसे ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सहायक है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। भगवान काल भैरव अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। अब ऐसे में जून में कालाष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा। पूजा का मुहूर्त क्या है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित अरिवंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

जून में कालाष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा?

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जून 2025 में कालाष्टमी का व्रत 18 जून 2025, बुधवार को रखा जाएगा। अष्टमी तिथि 18 जून 2025 को दोपहर 01:34 बजे से शुरू होकर 19 जून 2025 को सुबह 11:55 बजे समाप्त होगी। चूंकि कालाष्टमी की पूजा रात में की जाती है, इसलिए व्रत 18 जून को रखा जाएगा।

कालाष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

कालाष्टमी का पर्व 18 जून बुधवार को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप, काल भैरव को समर्पित है। काल भैरव को तंत्र-मंत्र के देवता, न्याय के देवता और बुरी शक्तियों का नाश करने वाला माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों के जीवन के सभी कष्ट, भय और नकारात्मकता दूर होती है।
प्रदोष काल और रात्रि काल - 18 जून की संध्या और रात्रि काल भैरव पूजन के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी रहेगा।
शुभ चौघड़िया (रात्रि) - रात 8:27 बजे से रात 9:42 बजे तक।
अमृत मुहूर्त (रात्रि) - रात 9:42 बजे से रात 10:57 बजे तक।

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कालाष्टमी की पूजा का महत्व क्या है?

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कालाष्टमी का पर्व हिंदू धर्म में भगवान शिव के रौद्र स्वरूप, भगवान काल भैरव को समर्पित है। हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। काल भैरव को भय और संकटों का नाश करने वाला माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से तमाम बाधाएं दूर होती हैं और अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। यह मानसिक भय को दूर कर आत्मबल को मजबूत करता है। काल भैरव बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करते हैं। उनकी पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह दिन बुरी शक्तियों को दूर करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। काल भैरव को शत्रुओं का नाश करने वाला माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति के सभी शत्रु नष्ट होते हैं और जीवन में विजय प्राप्त होती है।

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Image Credit- HerZindagi

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