आखिर कैसे हुआ था माता संतोषी का जन्म

हिंदू धर्म के मान्यताओं के अनुसार, माता संतोषी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। माता संतोषी प्रेम और आशा की प्रतीक भी माना जाता है। 

how Santoshi Mata was born
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संतोषी माता भगवान गणेश की पुत्री एवं शुभ-लाभ की बहन हैं। माता संतोषी की विधि-विधान के साथ पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वह जीवन में सुख-समृद्धि भी प्राप्त करते हैं। गणपति जी की दो पत्नियां रिद्धि-सिद्धि के दो पुत्र शुभ-लाभ हैं और इनकी पुत्री संतोषी माता ही है। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर संतोषी माता कैसे उत्पन्न हुई थी।

कैसे हुआ था माता संतोषी का जन्म?

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गणेश जी का विवाह रिद्धि-सिद्धि के साथ हुआ था और शुभ-लाभ उनके दो पुत्र हुए। हिंदू धर्म की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान गणपति अपनी बहन से रक्षा सूत्र बंधवा रहे थे। तभी गणेश जी से उनके पुत्रों ने इस रस्म के बारे में पूछा तो तब गणेश जी ने कहा कि यह धागा नहीं, रक्षासूत्र आशीर्वाद और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। यह बात सुनकर शुभ-लाभ बड़े उत्साहित हुए और उन्होंने गणेश जी से कहा कि उन्हें भी एक बहन चाहिए, जिससे वो भी इस रक्षा सूत्र को बंधवा सकें।

शुभ-लाभ की इस मनोकामना को पूरा करने के लिए भगवान गणेश ने अपनी शक्तियों से एक ज्योति उत्पन्न की और दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि की आत्मशक्ति के साथ उसे सम्मिलित कर लिया। इस ज्योति ने कुछ देर बाद एक कन्या का रूप ले लिया, जिसका नाम संतोषी रखा गया। तब से उस कन्या को संतोषी माता के नाम से जाना जाने लगा।

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क्यों शुक्रवार के दिन होती है संतोषी माता की पूजा?

संतोषी माता का जन्म शुक्रवार के दिन हुआ था इस कारण से उनकी पूजा और व्रत शुक्रवार के दिन ही किया जाता है। शुक्रवार के दिन माता संतोषी की पूजा अर्चना करने से माता प्रसन्न होती हैं। संतोषी माता का व्रत 16 शुक्रवार तक करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है और व्यवसाय में भी लाभ होता है।

सिर्फ यही नहीं, जो भक्त माता संतोषी की पूजा विधि पूर्वक करते हैं उनके घर में सुख-समृद्धि भी आती है। माना जाता है कि अविवाहित कन्याएं अगर संतोषी माता का व्रत करें तो मां की कृपा से उन्हें सुयोग्य वर मिलता है।इसे जरूर पढ़ें: Santoshi Mata Vrat: शुक्रवार को रखें संतोषी माता का व्रत, घर में आएगी सुख-समृद्धि

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image credit- freepik

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