हिंदू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला मुख्य त्योहार है। यह भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक है और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए विवाहित महिलाएं यह व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। लेकिन अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या एक गर्भवती महिला को हरियाली तीज का व्रत करना चाहिए? आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
गर्भवती महिलाएं व्रत रखने के दौरान जरूर करें इन नियमों का पालन
- गर्भावस्था के दौरान कठोर व्रत रखने से बचें। निर्जला व्रत बिल्कुल भी न रखें, क्योंकि यह डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक है। यदि आप व्रत रखना चाहती हैं, तो फलाहार व्रत या सरल व्रत का विकल्प चुनें, जिसमें आप फल, दूध, दही, और जूस का सेवन कर सकती हैं। अपने शरीर की सुनें और अगर थोड़ी भी असहजता महसूस हो तो तुरंत व्रत तोड़ दें।
- अगर आप हरियाली तीज के दिन व्रत नहीं रख रही हैं तो आप इस दिन आप केवल पूजा-पाठ करें और शिव-शक्ति की आराधना करें।
- हरियाली तीज के दिन जो गर्भवती महिलाएं पूजा-पाठ कर रही हैं, वह सोलह श्रृंगार केवल पूजा करने तक ही करें और अपने आप को फ्री रखें।
- इस दिन आप निर्जला व्रत न रखें। आप पीने के पानी में तुलसी दल डालकर पी सकती हैं और पूजा-अर्चना विधिवत रूप से कर सकती हैं।
- आप अगर इस दौरान कहीं बाहर जाने का सोच रही हैं तो व्रत के दौरान टाल दें। घर पर ही पूजा-पाठ करके आराम करें।
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हरियाली तीज व्रत का महत्व क्या है?
हरियाली तीज का त्योहार, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपरा में विशेष स्थान रखता है। यह व्रत मुख्यतः सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत करती हैं। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। तभी से यह दिन हरियाली तीज के रूप में मनाया जाने लगा।
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Image Credit- HerZindagi
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