(Shani temples of India) धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शनिदेव को कर्मफलदाता कहा जाता है। इनके पास सभी जातक के कर्मों का लेखा-जोखा होता है। उसी के हिसाब से शनिदेव व्यक्ति को फल प्रदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शनिदेव की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से शनि दोष से छुटकारा मिल सकता है और शुभ फलों की भी प्राप्ति हो सकती है। उनकी आराधना करने से कुंडली में स्थित शनि ग्रह की स्थिति मजबूत हो सकती है। बता दें, 06 जून को शनि जयंती है। अब ऐसे में अगर किसी जातक की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव है, तो भगवान शनिदेव के प्रसिद्ध कुछ ऐसे मंदिर हैं। जहां दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को शुभ परिणाम मिल सकते हैं और जातक की हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
शनि शिंगणापुर मंदिर, महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शनि देव का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर की विशेषता बेहद अनूठी है। यहां भगवान शनि की स्वयंभू काले पत्थर की मूर्ति खुले आसमान के नीचे स्थापित है। ऐसा कहा जाता है कि शिंगणापुर क्षेत्र को भगवान शनिदेव ने गोद लिया है। जिसकी रक्षा वह स्वयं करते हैं। यही कारण है कि यहां लोग अपने घरों में ताला नहीं लगाते हैं। यहां भगवान शनिदेव की प्रतिमा नहीं, बल्कि एक शिला-स्तंभ की पूजा की जाती है। यहां शनिदेव की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिल जाती है।
दिल्ली में स्थित शनि धाम मंदिर छतरपुर मंदिर रोड पर असोला नामक एक क्षेत्र पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां स्थित शनिदेव की प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची और बड़ी शनि प्रतिमा है। जिसके दर्शन मात्र से व्यक्ति को सभी पापों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही कुंडली में स्थित साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव भी कम हो जाते हैं। व्यक्ति के जीवन में शुभ समय शुरू हो सकते हैं।
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शनिश्वरा भगवान स्थलम यह दक्षिण भारत का प्रसिद्ध शनि मंदिर है। यह पुडुचेरी में तिरुनल्लर नामक जगह पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि शनि ने भगवान शिव के सामने अपनी सभी शक्तियां खो दी थी। वहीं मंदिर के पास स्थित तीर्थ नामक एक पवित्र तालाब भी है। ऐसा मानना है कि इस तालाब में डुबकी लगाने से व्यक्ति के पिछले जन्म के सभी पाप कट जाते हैं और साढ़ेसाती और ढैय्या से भी छुटकारा मिल सकता है।
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येरदानुर शनि मंदिर तेलंगाना के मेडक जिले में स्थित है। यहां भगवान शनि की काले पत्थर से बनीं 20 फीट ऊंची प्रतिमा है। इस मंदिर में दर्शन करने से व्यक्ति की कुंडली में स्थित साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे शनि दोष के प्रभाव कम हो जाते हैं। इस मंदिर में तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाकर उपासना की जाती है।
शनि महात्मा मंदिर कर्नाटक में बेंगलुरु के पास चिक्का मादुरे नामक क्षेत्र में स्थित है। यहां श्रद्धालु विशेष रूप से कुंडली में पंचम और अष्टम शनि दोष को दूर करने के लिए पूजा करते हैं। यहां सावन के महीने में खासकर अनुष्ठान की जाती है। इस मंदिर में भक्त सामने बैठे हवन कुंड में काले कपड़े में तिल बांधकर जलाते हैं।
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शनिचरा मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से उपासना करने से व्यक्ति की सभी मुरादें पूरी हो जाती है।
शनिश्वर क्षेत्र मंदिर केरल में स्थित है। यहां भगवान शनिदेव की मूर्ति को आशीर्वाद देने वाले रूप में दिखाया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में श्रद्धालु जो बी समस्याएं लेकर आते हैं। उन्हें उस समस्या का समाधान मिल जाता है।
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Image Credit- HerZindagi
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