गलती से एक दिन भी रुकी यह परंपरा, तो 18 सालों के लिए बंद हो सकता है जगन्नाथ पुरी मंदिर

जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा अपने आप में दिव्यकारी है। मंदिर के शिखर पर हमेशा एक झंडा लहराता हुआ दिखता है, जिसे रोज बदला जाता है। इसके साथ एक अन्य ऐसी परंपरा है जो यदि रुक जाए, तो माना जाता है कि मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो सकता है। आइए इस लेख में हम उन परंपराओं के बारे में जानें।
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भगवान जगन्नाथ का मंदिर आस्था का प्रतीक है। यह मंदिर अपने चमत्कारों और रहस्यों के लिए जाना जाता है। इससे जुड़ी कई ऐसी कहानियां, लोककथाएं और किस्से हैं, जो सदियों से लोग सुनते आ रहे हैं। अब सोचिए जिस मंदिर की रथ यात्रा को देखने के लिए लोग दूर-दूर से देखने आते हैं, यदि उसके द्वार एक दिन अचानक बंद हो जाएं तो?

रथ यात्रा के बाद जगन्नाथ पुरी का मंदिर 15 दिनों के लिए बंद जरूर होता है, लेकिन उसके बाद वहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। मगर 18 सालों के लिए मदिंर के बंद होने की कल्पना शायद कोई नहीं कर सकता है। मगर ऐसा हो सकता है। यह बात जगन्नाथ पुरी मंदिर की एक अत्यंत रहस्यमयी और अनुशासनप्रिय परंपरा का हिस्सा है।

भारत के चार धामों में से एक यह मंदिर सिर्फ भव्यता और आस्था के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी परंपराओं की कठोरता के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां की हर रस्म, हर रिवाज सैकड़ों वर्षों से एक तयशुदा नियम से निभाए जाते हैं और जरा-सी चूक पूरी परंपरा पर भारी पड़ सकती है।

पतितपावन और और महाप्रसाद भोग की अग्नि परंपरा ऐसी परंपरा हैं, जो अनवरत चलती आ रही है। कहा जाता है कि अगर इस परंपरा में एक दिन का भी व्यवधान आ गया, तो जगन्नाथ मंदिर को 18 वर्षों तक बंद करना पड़ सकता है। इसकी कल्पना शायद मुश्किल हो, लेकिन इसके पीछे की वजह और कहानी और भी दिलचस्प है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर किन परंपराओं के रुकने से हो सकता है बंद?

मंदिर में ऐसी कई परंपराएं सदियों से चलती आ रही हैं जो बेहद महत्वपूर्ण हैं, लेकिन किसी परंपरा के कारण 18 सालों के लिए मंदिर बंद हो जाना बड़ी बात है। जगन्नाथ पुरी में दो चीजें कभी नहीं रुक सकती हैं। मंदिर की सबसे पवित्र परंपराओं में से एक है- 'नीति चक्र के अनुसार महाप्रसाद की नित्य अग्नि जलाना' और दूसरी है 'पटकासी सेवा।

jagnnath puri temple patkasi seva

इन दोनों का एक ही सार है- परंपरा की अखंडता। यह दोनों परंपराएं मंदिर की शुद्धता और जीवंतता से जुड़ी हैं। मंदिर के पुरोहित और सेवकों का मानना भी यही है कि ये परंपराएं दैवीय अनुशासन का हिस्सा हैं।

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क्या है जगन्नाथ पुरी मंदिर की 'नित्य अग्नि'?

जगन्नाथ पुरी मंदिर की सबसे पवित्र परंपराओं में से एक 'नीति चक्र के अनुसार महाप्रसाद की नित्य अग्नि जलाना' है। इस परंपरा को 'आकाशीय अग्नि' से जोड़ा जाता है, जिसे 'नित्य अग्नि' भी कहा जाता है। इस अग्नि में ही प्रतिदिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के लिए भोग तैयार होता है। यह अग्नि सदियों से कभी बुझी नहीं है और इसे देव-अग्नि का स्वरूप माना जाता है। मंदिर के अंदर स्थित रसोईघर में सात मिट्टी के बर्तनों में यह भोग पकाया जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि नीचे रखे बर्तन में सबसे कम और ऊपर वाले बर्तन में सबसे ज्यादा खाना पक जाता है। यह भी किसी चमत्कार से कम नहीं है।

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अब अगर यह अग्नि किसी कारणवश बुझ जाए, तो मान्यता है कि मंदिर अपवित्र हो जाएगा। उस स्थिति में मंदिर को 18 वर्षों तक आम भक्तों के लिए बंद कर दिया जाएगा। इस दौरान मंदिर को पुनः शुद्ध करने, मंत्रोच्चार, अनुष्ठान और विशेष यज्ञों का आयोजन होगा, जिसमें वर्षों लग जाते हैं। इसलिए इस अग्नि की देखरेख में कार्यरत महासुवार, पंडा और सेवक इसे बारिश या बड़े से बड़े तूफान में भी बुझने नहीं देते।

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क्या है जगन्नाथ पुरी मंदिर की 'पटकासी सेवा'?

जगन्नाथ मंदिर की चोटी पर लगा यह झंडा पतितपावन बाना नाम से जाना जाता है। क्या आपको पता है कि झंडा हवा की दिशा के विपरीत लहराता है? यह रहस्यमयी है, ऐसा क्यों होता है इसके बारे में विशेषज्ञों को भी नहीं पता है।

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श्रद्धालू और मंदिर का सेवा कार्य करने वाले इसे भगवान जगन्नाथ की इच्छा का एक चमत्कारी संकेत मानते हैं। सदियों से यह झंडा हर रोज बदला जाता है। मंदिर के पुजारी ही बिना किसी सुरक्षा के 215 फीट ऊंचाई पर चढ़कर झंडा बदलते हैं। इसे 'पटकासी सेवा' कहा जाता है। अगर यह झंडा एक दिन भी बदला नहीं गया, तो मान्यता है कि यह अपशकुन होगा।

जगन्नाथ मंदिर की यह परंपरा सिर्फ धार्मिक आस्था का विषय नहीं, बल्कि एक संदेश भी है कि नियम, श्रद्धा और अनुशासन जब एक हो जाएं तो चमत्कार भी एक परंपरा बन सकते हैं।

हमें उम्मीद है कि यह लेख पढ़कर आपको भी जगन्नाथ पुरी मंदिर के बारे में दिलचस्प जानकारी मिली होंगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो इसे लाइक करें। अगर मंदिर से जुड़ी ऐसी परंपराएं आपको भी पता हों, तो हमें कमेंट करके बताएं। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Freepik

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