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मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन Tulsi Chalisa Path करने के मिलते हैं अनगिनत फायदे, पंडित जी से जानें इसका महत्व

तुलसी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं। मुख्य रूप से यदि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी चालीसा का पाठ किया जाता है, तो इसके लाभ और ज्यादा बढ़ जाते हैं। आइए जानें इसके महत्व और फायदे।
Editorial
Updated:- 2025-12-03, 19:59 IST

हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस महीने की पूर्णिमा तिथि को अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन की गई पूजा और व्रत का फल कई गुना ज्यादा मिलता है। इस दिन तुलसी माता की विशेष पूजा का भी विधान है। यही नहीं इस दिन तुलसी चालीसा का पाठ करना अत्यंत मंगलकारी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा लगा होता है वहां माता लक्ष्मी का  वास होता है। यदि आप नियमित रूप से तुलसी के पौधे को जल चढ़ाती हैं और तुलसी की पूजा करती हैं तो शुभ फल मिलते हैं। यही नहीं तुलसी चालीसा का पाठ करना भी सुखदायी माना जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन इस चालीसा का पाठ मुख्य रूप से फलदायी होता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इसके फायदों के बारे में।  

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर तुलसी चालीसा का पाठ करने के लाभ 

मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि के दिन तुलसी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को कई समस्याओं से  मुक्ति मिलती है और इसके कई लाभ जीवन में दिखाई देते हैं।

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तुलसी चालीसा पाठ मानसिक शांति देता है

यदि आप मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी चालीसा का पाठ करती हैं तो अआप्को मानसिक शांति मिलती है और तनाव को दूर रखने में मदद मिलती है। इस दिन तुलसी की पूजा के साथ तुलसी चालीसा का पाठ अवश्य करें। ऐसा कहा जाता है कि इस चालीसा के पाठ से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

tulsi chalisa path benefits

तुलसी चालीसा पाठ बाधाओं को दूर करता है

यदि घर में किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा का वास हो तो आप मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी तुलसी चालीसा का पाठ अवश्य करें।

संपूर्ण तुलसी चालीसा क्या है

दोहा

जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी।
नमो नमो हरी प्रेयसी श्री वृंदा गुन खानी।।
श्री हरी शीश बिरजिनी , देहु अमर वर अम्ब।
जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब ।।

चौपाई

नमो नमो तुलसी महारानी , महिमा अमित न जाय बखानी ।
 दियो विष्णु तुमको सनमाना , जग में छायो सुयश महाना ।
विष्णुप्रिया जय जयति भवानि , तिहूं लोक की हो सुखखानी ।
भगवत पूजा करे जो कोई , बिना तुम्हारे सफल न होई ।
 जिन घर तव नहिं होय निवासा , उस घर करहिं विष्णु नहिं बासा ।

 करे सदा जो तव नित सुमिरन , तेहिके काज होय सब पूरन ।
 कार्तिक मास महात्म तुम्हारा , ताको जानत सब संसारा ।
तव पूजन जो करें कुंवारी , पावै सुन्दर वर सुकुमारी ।
 कर जो पूजा नितप्रति नारी , सुख सम्पत्ति से होय सुखारी । ।
वृद्धा नारी करै जो पूजन , मिले भक्ति होवै पुलकित मन । ।
श्रद्धा से पूजे जो कोई , भवनिधि से तर जावै सोई ।
 कथा भागवत यज्ञ करावै , तुम बिन नहीं सफलता पावै ।
छायो तब प्रताप जगभारी , ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी ।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन में , सकल काज सिधि होवै क्षण में ।
 औषधि रूप आप हो माता , सब जग में तव यश विख्याता ।
देव रिषी मुनि औ ' तपधारी , करत सदा तव जय जयकारी ।
 वेद पुरानन तव यश गाया , महिमा अगम पार नहिं पाया ।

 नमो नमो जै जै सुखकारनि , नमो नमो जै दुःखनिवारनि । ।
नमो नमो सुखसम्पति देनी , नमो नमो अघ काटन छेनी । ।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी , नमो नमो दुष्टन मंद छेनी ।
 नमो नमो भव पार उतारनि , नमो नमो परलोक सुधारनि ।
 नमो नमो निज भक्त उबारनि , नमो नमो जनकाज संवारनि ।
 नमो - नमो जय कुमति नशावनि , नमो नमो सब सुख उपजावनि ।
जयति जयति जय तुलसीमाई , ध्याऊँ तुमको शीश नवाई ।
निजजन जानि मोहि अपनाओ , बिगड़े कारज आप बनाओ ।
 करूँ विनय मैं मात तुम्हारी , पूरण आशा करहु हमारी ।
 शरण चरण कर जोरि मनाऊँ , निशदिन तेरे ही गुण गाऊँ ।
 करहु मात यह अब मोपर दाया , निर्मल होय सकल ममकाया ।
 मांगू मात यह बर दीजै , सकल मनोरथ पूर्ण कीजै ।

जानू नहिं कुछ नेम अचारा , छमहु मात अपराध हमारा । ।
बारह मास करै जो पूजा , ता , सम जग में और न दूजा ।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे , फिर सुन्दर स्नान करावे ।
चन्दन अक्षत पुष्प चढ़ावे , धूप दीप नैवेद्य लगावे ।
करे आचमन गंगा जल से , ध्यान करे हृदय निर्मल से ।
 पाठ करे फिर चालीसा की , अस्तुति करे मात तुलसा की ।
यह विधि पूजा करे हमेशा , ताके तन नहिं रहै क्लेशा ।
करै मास कार्तिक का साधन , सो वे नित पवित्र सिध हुई जाहीं ।
 है यह कथा महा सुखदाई , पढ़े सुने सो भव तर जाई । |

दोहा

यह श्री तुलसी चालीसा , पाठ करे जो कोय ।
गोविन्द सो फल पावही , जो मन इच्छा होय ॥

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tulsi chalisa ka path

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर तुलसी चालीसा पाठ करने की विधि

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन प्रातः उठकर स्न्नान आदि से मुक्त होकर पूजा आरंभ करें और माता लक्ष्मी की पूजा के साथ तुलसी के पौधे की भी पूजा करें।
  • यदि आप यह पूजा ब्रह्म मुहूर्त में करें तो बहुत लाभकारी हो सकता है।
  • तुलसी के पौधे की पूजा करने के लिए तांबे के लोटे में जल भरकर तुलसी पर अर्पित करें। इसमें गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं।
  • तुलसी माता के समक्ष घी का दीपक जलाएं और तुलसी चालीसा का पाठ करें। यदि संभव हो तो यह पाठ 11 बार करें, अन्यथा एक बार इस चालीसा को अवश्य पढ़ें।
  • इसके बाद तुलसी माता की आरती से पूजा का समापन करें।

इस प्रकार यदि आप मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी चालीसा का पाठ करें तो आपको कई लाभ हो सकते हैं और समृद्धि के द्वार खुलते हैं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसे ही अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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