
मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को ही अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को अन्नपूर्णा माता की कृपा पाने के लिए एक अत्यंत शुभ अवसर के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, घर में माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में अन्न, धन, धान्य और समृद्धि का वास होता है। साल 2025 में यह पर्व 04 दिसंबर को मनाया जाएगा और इस दिन यदि आप अन्नपूर्णा माता की पूजा करती हैं और इस बारे में जानकारी लेना चाहती हैं, तो हम आपको यहां विस्तार से अन्नपूर्णा माता की पूजा विधि और उसमें इस्तेमाल होने वाली पूजा सामग्री के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें अन्नपूर्णा जयंती की पूजा विधि के बारे में जिससे आपको पूजा का पूर्ण फल मिले।
अन्नपूर्णा जयंती के दिन यदि आप कुछ विशेष पूजन सामग्री का इस्तेमाल करती हैं, तो आपके जीवन में खुशहाली बनी रहेगी। आइए आपको बताते हैं अन्नपूर्णा जयंती की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री के बारे में-

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इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्ति होकर पूजा के स्थान की सफाई करें। पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस चौकी पर माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा स्थापित करें।

मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर माता अन्नपूर्णा की विधि-विधान से पूजा करने पर घर में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती है। साथ ही, जीवन में धन, वैभव, सौभाग्य और शांति बढ़ती है और परिवार में सद्भाव स्थापित होता है।
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