Navratri 9th Day: 6 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन यानी महानवमी है। इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप, सिद्धिदात्री देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। माता की पूजा-अर्चना करने के साथ ही भक्त व्रत का समापन करते है और नौ कन्याओं की पूजा कर उनका आर्शीवाद लेते हैं। साथ ही भक्त विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती का पाठ, हवन और उपवास करते हैं। नवरात्रि के आखिरी दिन माता रानी की शक्ति उपासना के साथ भजन-कीर्तन, जागरण और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। महानवमी के दिन मां दुर्गा के इस रूप का आह्वान करने से भक्तों को सर्व सिद्धि की प्राप्ति होती है। माता के हाथ में चक्र और दूसरे हाथ में गदा है। एक हाथ में शंख और एक हाथ कमल पुष्प है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानते हैं मां सिद्धिदात्री की कथा और माता को किस चीज का भोग लगाना चाहिए।
मां सिद्धिदात्री की कथा (Maa Siddhidatri Katha)
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पौराणिक और धार्मिक कथा के अनुसार, मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर भगवान शिव ने आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाएं। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में ये रूप अत्यंत ही शक्तिशाली रूप माना जाता है। कहा जाता है कि,मां दुर्गा का ये रूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। कथाओं अनुसार जब महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता गण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे, तब वहां मौजूद सभी देवी-देवताओं के तेज से एक देवी का जन्म हुआ, जिन्हें मां सिद्धिदात्री कहा जाता है। मां सिद्धिदात्री केवल शक्ति की प्रतीक नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड की संतुलनकारी भी हैं। मां सिद्धिदात्री का वाहन सिंह और मां कमल पर विराजमान हैं। माता के चार हाथ हैं, दाहिने हाथ में गदा और चक्र और बाएं हाथ में शंख और कमल है।
माता सिद्धिरात्री को लगाएं इन चीजों का भोग
मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए उन्हें शुद्ध और सात्विक चीजों का भोग अर्पित किया जाता है। नौवें दिन के लिए विशेष भोग का महत्व होता है, क्योंकि यह नवरात्रि का अंतिम और सबसे पवित्र दिन माना जाता है। नौवें दिन माता सिद्धिदात्री को भोग में हलवा, पूरी, चना, खीर, नारियल और मौसमी फल अर्पित करना चाहिए। देवी मां को ये चीजें अर्पित करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। माता को हलवा, पूड़ी, काले चने, मौसमी फल, खीर और नारियल का भोग लगाते समय "ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः" या "ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:" मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
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Image credit-Freepik, Herzindagi
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