Maa Kalratri Vrat Katha and Mantra: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन पढ़ें मां कालरात्रि की व्रत कथा, करें इन मंत्रों का जाप

Maa Kalratri Vrat Katha and Mantra: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। मां कालरात्रि यंत्र, तंत्र और मंत्र की देवी के रूप में जानी जाती हैं। यह माता का रौद्र रूप है।  

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Maa Kalratri Katha Aur Mantra: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। मां कालरात्रि यंत्र, तंत्र और मंत्र की देवी के रूप में जानी जाती हैं। यह माता का रौद्र रूप है। मां कालरात्रि सिद्धि प्रदान करने वाले देवी हैं। इनकी पूजा से अकाल मृत्यु समेत कई भयंकर योग टल जाते हैं। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर क्यों लिया था माता पार्वती ने कालरात्रि रूप, क्या है इस अवतार के पीछे की कथा और मां कालरात्रि के कौन से मंत्रो का जाप करना चाहिए।

मां कालरात्रि की व्रत कथा

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एक समय की बात है रक्तबीज नामक एक राक्षस था जिसने भगवान शिव की तपस्या कर उनसे अमर होने का वरदान मांगा लेकिन अमर होने का वरदान देने से भगवान शिव ने मना कर दिया।

तब रक्तबीज ने युक्ति लगाते हुए भगवान शिव से एक भयंकर वरदान मांगा। वरदान यह था कि जब भी कोई उससे युद्ध करने आए और उसे आहत कर दे तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त से और भी रक्तबीज पैदा हो जाएं।

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यह वरदान पाकर रक्तबीज ने अपना आतंक तीनों लोकों में फैलाना शुरू कर दिया। सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव से रक्तबीज से छुटकारा दिलाने का आवेदन किया। तब भगवान शिव ने उपाय सुझाया।

भगवान शिव ने सभी देवी-देवताओं को माता पार्वती के पास जाने के लिए। जब सभी देवगण माता पार्वती के पास पहुंचे और उनसे आग्रह किया तब माता पार्वती ने अपना कालरात्रि रूप जागृत किया।

इसके बाद माता कालरात्रि ने रक्तबीज से युद्ध किया और जब-जब रक्तबीज का रक्त माता के प्रहार से निकलता तब-तब माता उस रक्त को जमीन पर गिरने से पहले ही अपने पात्र में भरकर ग्रहण कर लेतीं।

ऐसे ही युद्ध चलते चलते रक्तबीज के शरीर का सारा रक्त मां कालरात्रि ने पी लिया और तीनों लोकों को उस असुर के दुराचारों से मुक्ति दिलाई।

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मां कालरात्रि के मंत्र

क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की व्रत कथा और मंत्र एवं उसके जाप से मिलने वाले लाभों के बारे में। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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