ज्योतिष में कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका विशेष महत्व है। उन चीजों को धारण करने से शरीर के साथ आपका मन और मस्तिष्क भी ठीक से संचालित होता रहता है। ऐसी ही चीजों में से एक है रुद्राक्ष।
हम अक्सर गले में हाथों में या फिर माला के रूप में रुद्राक्ष को धारण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष धारण करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए जिससे इसकी पवित्रता बनी रहे।
ऐसे ही इसे कुछ विशेष समय पर धारण करने की सलाह दी जाती है और यदि आप इसके नियमों का ठीक से पालन नहीं कर सकते तो इसे न धारण करना ही अच्छा माना जाता है। रुद्राक्ष धारण करने के कुछ विशेष नियमों में से हैं कि इसे मांस मदिरा का सेवन करने वालों को नहीं धारण करना चाहिए, इसे धारण करने के लिए मंत्रों का जाप करना चाहिए और एक सवाल जो हमारे मन में आता है वो ये है कि क्या रुद्राक्ष को सोते समय भी धारण किया जा सकता है? आइए इस सवाल का जवाब ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ आरती दहिया जी से जानें।
क्या सोते समय भी धारण किया जा सकता है रुद्राक्ष
प्राकृतिक रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रत्यक्ष प्रतीक माना जाता है और शिव जी को सर्वशक्तिमान और कष्टों को हरने वाला माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष पहनने से आपके आस-पास के सभी नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
यह किसी भी तरह की बुरी शक्तियों को दूर करने में मदद करता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि यदि आप सोते समय भी रुद्राक्ष को किसी न किसी रूप में धारण करती हैं तो ये आपको बुरे सपनों के साथ किसी भी अन्य नकारात्मक ऊर्जा से बचाने में मदद करता है।
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रुद्राक्ष धारण करने का ज्योतिष महत्व
ज्योतिष के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय आकाशीय पिंडों की स्थिति जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है। विशिष्ट ग्रहों के प्रभाव को बढ़ाने या कम करने के लिए विभिन्न रत्नों और धातुओं को धारण करने की सलाह दी जाती है, जिनमें से एक रुद्राक्ष को भी विशेष माना जाता है।
यदि आपको रुद्राक्ष की माला धारण करने की सलाह दी जाती है तो ये आपकी जन्म कुंडली पर आधारित हो सकता है। सिफारिश की जाती है। रुद्राक्ष की माला धारण करने का सुझाव अक्सर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर दिया जाता है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
- यदि आप रुद्राक्ष किसी भी रूप में धारण करते हैं तो आपको इससे जुड़े कुछ विशेष नियमों के बारे में जरूर जान लेना चाहिए। जिससे इसकी प्रभाविकता बनी रहती है। रुद्राक्ष की हर एक कड़ी या पूर्ण माला को सबसे पहले शुद्धिकरण करना जरूरीहोता है। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी अशुद्धता या गंदगी उसकी सतह पर चिपकी न रहे। रुद्राक्ष तभी प्रभावी और शक्तिशाली होता है जब वह पूरी तरह से शुद्ध किया गया हो।
- रुद्राक्ष को ठीक से ऊर्जावान किया जाना चाहिए ताकि यह पहनने वाले को वांछित लाभ प्रदान कर सके। किसी विशेष मुखी रुद्राक्ष को केवल उस रुद्राक्ष देवता से संबंधित विशिष्ट मंत्र का जाप करके ही ठीक से सक्रिय किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के बाद रुद्राक्ष धारण करना वांछित परिणाम देने के लिए जरूरी माना जाता है।
- इसके साथ ही जब भी हम रुद्राक्ष किसी भी रूप में धारण करते हैं इसकी पवित्रता बनाए रखना भी जरूरी माना जाता है। इसके लिए आपको कभी भी रुद्राक्ष पहनने के बाद तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए और मांस-मदिरा के सेवन से भी बचना चाहिए।
किस समय नहीं धारण करना चाहिए रुद्राक्ष
- ज्योतिषियों के अनुसार किसी भी अशुभ कार्य को करते समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। नकारात्मक कर्म मोतियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। सोते समय आपका अपने दिमाग पर नियंत्रण नहीं रहता है और उस दौरान आपके मन में दबे हुए नकारात्मक विचार या भावनाएं भी उभर सकती हैं।
- इससे रुद्राक्ष अशुद्ध हो सकता है। रुद्राक्ष वास्तव में आपके विचारों को शुद्ध कर सकता है। कभी-कभी सोते समय आपको बुरे विचार भी सामने आते हैं। यह रुद्राक्ष की शुद्ध ऊर्जा के लिए हानिकारक माने जाते हैं, सोते समय रुद्राक्ष को शरीर से हटाकर सही स्थान पर रखने की सलाह दी जाती है।
- वहीं यदि विज्ञान की मानें तो रुद्राक्ष के नुकीले किनारे सोते समय आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए सोते समय इसे शरीर से निकाल देना ही बेहतर माना जाता है।
- यदि आप किसी की अंत्येष्टि में शामिल होने का रहे हों तो रुद्राक्ष न पहनने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही यदि आपके घर में बच्चे का जन्म हुआ है तो कम से कम 21 दिन तक रुद्राक्ष न धारण करें।
- गर्भवती महिलाओं को रुद्राक्ष न धारण करने की सलाह दी जाती है और मासिक धर्म के दौरान भी इसे नहीं पहनना चाहिए।
- कभी भी आपको बिना स्नान किए हुए रुद्राक्ष की माला नहीं पहननी चाहिए या फिर इसके जाप से बचना चाहिए।
सोते समय रुद्राक्ष धारण करना आपकी व्यक्तिगत पसंद पर आधारित हो सकता है, लेकिन किसी ज्योतिष परामर्श के बाद ही इसे धारण करना आपके लिए अच्छा माना जाता है।
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