राधा रानी को श्री कृष्ण की सबसे प्रिय और प्रमुख शक्ति माना जाता है। उनकी सेवा और प्रेम का भाव इतना गहरा है कि उनके बिना श्री कृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। वहीं, राधा रानी की आराधना भी श्री कृष्ण के बिना अपूर्ण है, लेकिन श्री कृष्ण के अलावा राधा रानी जिनके सबसे अधिक समीप थीं वे और कोई नहीं बल्कि उनकी आठ सखियां थीं जिन्हें अष्ट सखियों के रूप में जाना जाता है। ये सखियां न केवल राधा जी की प्रिय मित्र थीं बल्कि वे हर पल उनकी सेवा में लगी रहती थीं और राधा-कृष्ण के प्रेम को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी। हर सखी का अपना एक विशेष गुण और सेवा का भाव था। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं राधा रानी की अष्ट सखियों के नाम और उनकी पूजा का महत्व।
राधा रानी की अष्ट सखियों के नाम और विशेषता
ललिता: अष्टसखियों में ललिता सबसे प्रमुख और राधा रानी की सबसे करीबी सखी थीं। वे स्वभाव से निडर और तीव्र थीं। वे राधा-कृष्ण के प्रेम को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं और उनकी लीलाओं का आयोजन करती थीं।
विशाखा: विशाखा राधा रानी की दूसरी प्रमुख सखी थीं। वे बहुत बुद्धिमान और सुंदर थीं। वे राधा और कृष्ण के बीच संदेशवाहक का काम करती थीं और उनके प्रेम-संवादों में सहायता करती थीं।
चित्रा: चित्रा एक बहुत ही कलात्मक और रचनात्मक सखी थीं। वे राधा-कृष्ण की लीलाओं को सजाने और सुंदर बनाने में निपुण थीं। उन्हें विभिन्न कलाओं और संगीत का गहरा ज्ञान था।
इंदुलेखा: इंदुलेखा सखी स्वभाव से बहुत सरल थीं और सुंदरता की प्रतीक मानी जाती थीं। वे राधा जी के श्रृंगार और साज-सज्जा में मदद करती थीं।
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चंपकलता: चंपकलता बहुत ही चंचल और तेज स्वभाव की सखी थीं। वे सेवा कार्यों में अत्यंत कुशल थीं और राधा रानी की हर आवश्यकता का ध्यान रखती थीं।
रंगदेवी: रंगदेवी सखी राधा-कृष्ण की लीलाओं में रंग भरने का काम करती थीं। उन्हें विशेष रूप से वस्त्रों, आभूषणों और श्रृंगार की वस्तुओं को सजाने में महारत हासिल थी।
तुंगविद्या: तुंगविद्या वेदों और शास्त्रों की ज्ञाता थीं। वे अपनी बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध थीं और संगीत, कला और नृत्य में भी निपुण थीं। वे राधा-कृष्ण की लीलाओं में शास्त्रीय ज्ञान का योगदान देती थीं।
सुदेवी: सुदेवी सखी अत्यंत कोमल और सुंदर थीं। वे राधा रानी के स्वास्थ्य और आराम का विशेष ध्यान रखती थीं।
राधा रानी की अष्ट सखियों की पूजा के लाभ
श्री कृष्ण और राधा रानी की कृपा: अष्टसखियों की पूजा करने से राधा और कृष्ण दोनों का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इन सखियों का स्मरण करता है, उसे सीधे राधा-कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
वैवाहिक जीवन में सुख-शांति: अष्ट सखियां राधा-कृष्ण के प्रेम और समर्पण की प्रतीक हैं। उनकी पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सद्भाव और समृद्धि आती है।
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मानसिक शांति और भक्ति में वृद्धि: इन सखियों का स्मरण करने से व्यक्ति के मन में राधा-कृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम का भाव बढ़ता है। इससे मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
सभी मनोकामनाओं की पूर्ति: यह माना जाता है कि अष्टसखियों की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वे अपने भक्तों की हर कठिनाई को दूर कर देती हैं और उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करती हैं।
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