'सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।' यह देवी दुर्गा को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रसिद्ध मंत्र है। यह मंत्र मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों और उनकी शक्तियों का स्तवन करता है। हिंदू धर्म में, विशेषकर शाक्त परंपरा में इस मंत्र का विशेष महत्व है और इसे प्रतिदिन जपने से कई प्रकार के लाभ भी प्राप्त होते हैं। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है बल्कि जीवन की बाधाओं को दूर करने में भी सहायक माना जाता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं 'सर्व मंगल मांगल्ये' मंत्र रोजाना जपने के लाभ।
'सर्व मंगल मांगल्ये' मंत्र रोजाना जपने से क्या होता है?
इस मंत्र का शाब्दिक अर्थ है: हे देवी, आप सभी प्रकार के शुभों में भी परम शुभ हैं। आप कल्याणकारी हैं और सभी मनोरथों को सिद्ध करने वाली हैं। आप शरणागतों को आश्रय देने वाली हैं, तीन नेत्रों वाली गौरी हैं। हे नारायणी, हम आपको नमस्कार करते हैं। यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता को आकर्षित करता है। घर और आसपास के वातावरण में शुद्धता और शांति बनी रहती है।
इस मंत्र के जाप से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। चाहे वे स्वास्थ्य संबंधी हों, आर्थिक हों या व्यक्तिगत संबंधों से जुड़ी हों। यह मंत्र शत्रुओं और विरोधियों पर विजय प्राप्त करने में सहायक माना जाता है। यह व्यक्ति को आत्मविश्वास और साहस प्रदान करता है ताकि वह किसी भी चुनौती का सामना कर सके। देवी दुर्गा को धन और ऐश्वर्य की देवी भी माना जाता है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति को आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
इस मंत्र को स्वास्थ्य लाभ के लिए भी चमत्कारी माना जाता है। यह शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक हो सकता है। विवाह, संतान प्राप्ति, गृह प्रवेश जैसे किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले इस मंत्र का जाप करने से कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं और सफलता मिलती है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, यह मंत्र कुंडली में मौजूद कई ग्रह दोषों को शांत करने में मदद करता है।
इस मंत्र के जाप से विशेष रूप से वह दोष दूर होते हैं जो राहु, केतु, और शनि जैसे ग्रहों के कारण उत्पन्न होते हैं। देवी दुर्गा की कृपा से इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। नियमित जाप से व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास और आत्म-बल बढ़ता है। वह जीवन की चुनौतियों का सामना अधिक दृढ़ता से कर पाता है। यह मंत्र मन को शांत और एकाग्र करने में सहायक है।
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इस मंत्र का जाप तनाव, चिंता और भय को कम करता है, जिससे मानसिक शांति प्राप्त होती है। आध्यात्मिक स्तर पर, इस मंत्र का जाप व्यक्ति को मोक्ष और मुक्ति की ओर ले जाता है। यह आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का एक माध्यम है। सबसे महत्वपूर्ण है नियमितता। प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर कम से कम 11, 21, 51 या 108 बार जाप करें। एक शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर जाप करें।
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