Sankashti Chaturthi Chand Time 2025: आज विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन इस मुहूर्त में करें भगवान गणेश की पूजा, जानें पूजा विधि, चंद्रमा पूजन का समय, महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की विशेष महत्व है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। अब ऐसे में आज शाम के समय गणेश जी की पूजा कब करें, शुभ मुहूर्त क्या है और पूजा का महत्व क्या है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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हिंदू पंचांग के अनुसार, पहर चंद्र मास में दो चतुर्थी तिथियां होती हैं। पहला कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और दूसरा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

संकष्टी नाम से पता चल रहा है कि इस व्रत को रखने से सभी संकटों का निवारण हो सकता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति के जीवन में किसी भी तरह की बाधाएं आ रही है तो संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से लाभ हो सकता है। आपको बता दें, आज संकष्टी चतुर्थी का व्रत भक्त रख रहे हैं।

इस चतुर्थी तिथि का आरंभ 16 अप्रैल यानी कि आज दोपहर 01 बजकर 16 मिनट पर हुआ है और इसका समापन 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट पर होगा।

अब ऐसे में अगर आप भगवान गणेश की पूजा कर रहे हैं तो किस मुहूर्त में करें और पूजा की विधि क्या है। साथ ही चंद्रोदय का समय क्या है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं।

भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

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अगर आप भगवान गणेश की पूजा कर रहे हैं तो रात्रि 10 बजे कर सकते हैं। यह मुहूर्त पूजा-पाठ करने के लिए उत्तम माना गया है।

संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा पूजन का समय (Sankashti Chaturthi Chand Time Today)

संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात 09 बजकर 54 मिनट पर होगा। इसलिए इस दौरान आप चंद्रमा पूजन कर सकते हैं और अर्घ्य दे सकते हैं। उसके बाद भगवान गणेश की पूजा करें। आप चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद कभी भी पारण कर सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा विधि

  • किसी भी देवी-देवता की पूजा करने से पहले संकल्प लिया जाता है। इसलिए व्रत रखने का संकल्प लें।
  • भगवान गणेश का आह्वान करें। आप बप्पा के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।
  • यदि संभव हो तो भगवान गणेश की मूर्ति का गंगाजल से अभिषेक करें।
  • भगवान गणेश को चंदन और सिंदूर का तिलक लगाएं।
  • भगवान गणेश को फूल और दूर्वा घास अर्पित करें। दूर्वा घास गणेश जी को विशेष रूप से प्रिय है।
  • भगवान गणेश को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।
  • संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
  • आप इस दिन भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें।
  • आखिर में भगवान गणेश की आरती करें।
  • शाम को चंद्रमा निकलने पर उसका दर्शन करें और उसे अर्घ्य दें। अर्घ्य में जल, अक्षत और फूल डालें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलें और व्रत पारण कर सकते हैं।

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भगवान गणेश की पूजा का महत्व

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भगवान गणेश की पूजा का हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। उन्हें विघ्नहर्ता यानी सभी बाधाओं को दूर करने वाला माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले उनकी पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है ताकि वह बिना किसी विघ्न के संपन्न हो। इतना ही नहीं, किसी भी नए कार्य, व्यवसाय की शुरुआत में गणेश जी की पूजा करने से सफलता मिलती है।

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Image Credit- HerZindagi

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