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Annapurna Jayanti Upay 2025: आज अन्नपूर्णा जयंती के दिन शाम के समय रसोई में कितने दीये जलाएं?

अन्नपूर्णा जयंती के शुभ दिन पर शाम के समय रसोई में दीये जलाना अत्यंत शुभ और आवश्यक माना जाता है ताकि देवी अन्नपूर्णा की कृपा हमेशा बनी रहे। ऐसे में आइये जानते हैं कि अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोई में कितने दीये जलाने चाहिए और क्या हैं इससे मिलने वाले लाभ? 
Editorial
Updated:- 2025-12-04, 14:50 IST

आज, अन्नपूर्णा जयंती का पर्व है जो माता पार्वती के ही एक रूप देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है। देवी अन्नपूर्णा को भोजन, पोषण और समृद्धि की देवी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस घर में माता अन्नपूर्णा का वास होता है, वहां कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती। यह दिन मुख्य रूप से रसोई और चूल्हे की पूजा के लिए समर्पित होता है क्योंकि रसोई ही वह स्थान है जहां से पूरे परिवार का पोषण होता है। इस शुभ दिन पर शाम के समय रसोई में दीये जलाना अत्यंत शुभ और आवश्यक माना जाता है ताकि देवी अन्नपूर्णा की कृपा हमेशा बनी रहे। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोई में कितने दीये जलाने चाहिए और क्या हैं इससे मिलने वाले लाभ? 

अन्नपूर्णा जयंती की शाम रसोई में कितने दीये जलाएं? 

अन्नपूर्णा जयंती की शाम को रसोई में दीये जलाना बहुत शुभ माना जाता है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण आप अपनी रसोई में केवल एक दीया जला सकते हैं। यह दीया शुद्ध घी का होना चाहिए और इसे मां अन्नपूर्णा के प्रतीक यानी आपके चूल्हे के पास या रसोई के ईशान कोण में जलाना चाहिए। यह एक दीया मां अन्नपूर्णा के प्रति आपकी श्रद्धा और धन्यवाद व्यक्त करने के लिए पर्याप्त है।

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कई लोग तीन दीये जलाना शुभ मानते हैं। ये तीन दीये तीन देवियों- मां अन्नपूर्णा, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह माना जाता है कि इन तीनों देवियों का एक साथ वास होने से घर में अन्न, धन और ज्ञान की कमी नहीं होती है। पांच दीये जलाना भी अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि यह पंच तत्वों और पंच महा भूतों को दर्शाते हैं।

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इसके अलावा, पांच दीये के अलावा आप एक दीये में 5 मुख से बाती लगाकर उसे भी प्रज्वलित कर सकते हैं जिसे पंचमुखी दीया कहा जाता है। पंचमुखी दीया जलाने से आपकी रसोई और पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर होते हैं। घी न हो तो तिल के तेल का दीया जलाएं, सरसों के तेल का उपयोग न करें।

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इस बात का ध्यान रखें कि आज अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोई में दीया जलाने के बाद उसे चूल्हे के पास रखें और अगर चूल्हे के पास जगह नहीं है तो रसोई में उस स्थान पर जलाएं जहां पर आप पानी रखते हों। इससे मां अन्नपूर्णा के साथ-साथ वरुण देव जो पानी के देवता हैं, उनकी भी पूजा हो जाएगी और जल तत्व को धन का स्रोत माना जाता है।

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