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Annapurna Jayanti Vrat Katha 2025: आखिर क्यों भगवान शिव ने माता पार्वती से भिक्षा में मांगा था अन्न? पढ़ें अन्नपूर्णा जयंती की पावन व्रत कथा

Annapurna Jayanti Vrat Katha 2025: मान्यता है कि अन्नपूर्णा जयंती के दिन जो भी भक्त सच्चे मन से माता की पूजा करता है और व्रत कथा सुनता है उसके घर में अन्न और धन के भंडार कभी खाली नहीं रहते और दरिद्रता दूर होती है। 
Editorial
Updated:- 2025-12-04, 07:07 IST

अन्नपूर्णा जयंती का पर्व हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह दिन माता पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप के धरती पर अवतरित होने का उत्सव है। माता अन्नपूर्णा को अन्न और समृद्धि की देवी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से माता की पूजा करता है और व्रत कथा सुनता है उसके घर में अन्न और धन के भंडार कभी खाली नहीं रहते और दरिद्रता दूर होती है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं अन्नपूर्णा जयंती की व्रत कथा के बारे में विस्तार से। 

अन्नपूर्णा जयंती व्रत कथा (Annapurna Jayanti Vrat Katha 2025)

एक समय की बात है, एक बार भगवान शिव ने ज्ञानवश यह कह दिया कि 'अन्न भी एक माया है' और इसकी कोई खास अहमियत नहीं है। माता पार्वती जो सम्पूर्ण जगत को भोजन प्रदान करती हैं, उन्हें यह सुनकर बहुत दुख हुआ और वे क्रोधित हो गईं। उन्होंने भगवान शिव को यह समझाने का फैसला किया कि अन्न कितना महत्वपूर्ण है।

annapurna jayanti 2025 ki vrat katha

माता पार्वती ने उसी क्षण पृथ्वी से समस्त अन्न को अदृश्य कर दिया। अन्न के गायब होते ही पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ गया। इंसान हों या जानवर, सभी भूख से तड़पने लगे। साधु-संतों को भी भिक्षा नहीं मिल रही थी। चारों ओर हाहाकार मच गया। जब हर जगह अन्न का संकट गहराया तो स्वयं भगवान शिव को भी अपनी भूल का अहसास हुआ।

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उन्हें समझ आ गया कि अन्न माया नहीं बल्कि जीवन का आधार है। तब शिवजी ने पृथ्वी वासियों का कष्ट दूर करने के लिए भिक्षुक का रूप धारण किया और हाथ में भिक्षापात्र लेकर घूमते हुए काशी पहुंचे। काशी में माता पार्वती ने अन्नपूर्णा देवी का रूप धारण किया हुआ था और वे सभी काशीवासियों को अन्न का दान कर रही थीं। 

annapurna jayanti vrat katha 2025

भिक्षुक बने शिव जी भी माता अन्नपूर्णा के पास पहुंचे और अपनी भिक्षापात्र में अन्न मांगा। माता अन्नपूर्णा ने अपने हाथों से शिवजी के भिक्षापात्र को अन्न से भर दिया।अन्न ग्रहण करने के बाद शिवजी ने माता अन्नपूर्णा के इस रूप के महत्व को स्वीकार किया और उनकी महिमा का गुणगान किया। इस कथा का सार यह है कि अन्न का कभी अनादर नहीं करना चाहिए और भोजन को हमेशा सम्मान देना चाहिए। 

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FAQ
अन्नपूर्णा जयंती के दिन क्या दान करना चाहिए?
अन्नपूर्णा जयंती के दिन 7 प्रकार के अनाजों का दान करना चाहिए।
अन्नपूर्णा जयंती के दिन किस मंत्र का जाप करें?
अन्नपूर्णा जयंती के दिन 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमो भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णे स्वाहा' मंत्र का जाप करना चाहिए।
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