
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह वर्ष का दसवां महीना होता है। यह महीना देवताओं के पितरों को समर्पित माना जाता है और यह अक्सर दिसंबर या जनवरी के दौरान आता है। ज्योतिष के अनुसार, पौष माह में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है, लेकिन इस महीने को खरमास के दौरान आने के कारण शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है। इस महीने में किए गए पूजा-पाठ और दान-पुण्य से घर में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का आगमन होता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर कब से शुरू हो रहा है पौष माह, क्या है इस माह का महत्व, इस माह में कौन से उपाय करने चाहिए और इस महीने में क्या करना चाहिए एवं क्या नहीं करना चाहिए?
साल 2025 में पौष माह की शुरुआत 5 दिसंबर, शुक्रवार के दिन से हो रही है। वहीं, पौष माह का समापन 3 जनवरी 2026 को शनिवार के दिन हो रहा है। इस पूरे एक महीने की अवधि को ही खरमास के नाम से जाना जाता है।

पौष माह सूर्य देव को समर्पित है। हर दिन सुबह स्नान करने के बाद, सूर्य देव को तांबे के लोटे से अर्घ्य जरूर दें। अर्घ्य देते समय 'ॐ सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें। यह उपाय अच्छे स्वास्थ्य और मान-सम्मान में वृद्धि करता है।
चूंकि यह महीना कड़ाके की सर्दी में आता है इसलिए जरूरतमंदों को गर्म कपड़े, गुड़ और तिल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और शनि दोष भी शांत होता है।
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इस पूरे महीने में शादी-विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश और नए व्यापार का आरंभ जैसे सभी शुभ कार्य पूरी तरह से वर्जित होते हैं। माना जाता है कि कमजोर सूर्य बल के कारण इन कार्यों में सफलता नहीं मिलती।
इस दौरान मकान, गाड़ी या कीमती सामान की बड़ी खरीदारी से बचना चाहिए। इस महीने में सादा भोजन करना चाहिए और मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। धार्मिक कार्यों और भगवान का नाम जपने पर ध्यान देना चाहिए।

यह महीना मुख्य रूप से सूर्य देव और पितरों को समर्पित है। इस दौरान सूर्य की पूजा से तेज और ऊर्जा मिलती है और पितरों के लिए किए गए तर्पण से पितृ दोष दूर होते हैं। इस माह में सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
सूर्य को रोगों का नाश करने वाला माना गया है। इस महीने में दान, व्रत और तप करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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