
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह दसवां महीना है। यह महीना आमतौर पर दिसंबर और जनवरी के बीच आता है। यूं तो इस माह में अपने इष्ट देव की पूजा करना शुभ होता है, लेकिन जिस प्रकार हर माह किसी न किसी देवी-देवता को विशेष रूप से समर्पित होता है, ठीक ऐसे ही पौष का महीना मुख्य रूप से सूर्य देव को अर्पित है। धार्मिक दृष्टि से, पौष माह को सूर्य देव की पूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पूरे माह में सूर्य देव की उपासना करने से व्यक्ति को तेज, यश और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस महीने में सूर्य भगवान की विधिवत पूजा और व्रत करते हैं उनके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि पौष माह में सूर्य देव की कृपा पाने के लिए कैसे करें उनकी पूजा और क्या हैं सूर्य पूजा के लाभ एवं नियम?
पौष माह में प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। यदि संभव हो, तो पूजा के दौरान लाल या नारंगी रंग के वस्त्र पहनें। स्नान के बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें। इस जल में लाल चंदन, लाल फूल और अक्षत मिलाएं।
गते हुए सूर्य को जल की धारा अर्पित करें। अर्घ्य देते समय जल की धारा के बीच से सूर्य देव के दर्शन करें और 'ॐ सूर्याय नमः', 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' या सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करें। अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव को प्रणाम करें।

अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें। इसके बाद, उसी स्थान पर खड़े होकर तीन बार परिक्रमा करें। इस महीने में सूर्य देव के निमित्त किसी जरूरतमंद को गुड़, गेहूं, लाल वस्त्र और तांबा दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
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पौष माह में सूर्य देव की पूजा करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना बहुत है ताकि आपको इसका पूरा लाभ मिल सके। इन नियमों को अपनाकर आप सूर्य देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और सुख-समृद्धि पा सकते हैं।
सूर्य देव को जल चढ़ाते समय उगते हुए सूर्य के सामने खड़े होकर जल की धारा अर्पित करें। ध्यान रहे कि जल की धार के बीच से सूर्य देव को देखें। अर्घ्य देते समय सूर्य के 12 नामों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।
अगर आपको सूर्य देव के 12 नाम नहीं पता है तो ऐसे में आप सूर्य देव का मुख्य मंत्र जाप सकते हैं और चाहें तो सूर्य अर्घ्य केबाद आसन पर बैठकर 1 माला का जाप भी कर सकते हैं। इससे आपकी पूजा पूर्ण मानी जाती है।
सूर्य देव की पूजा के बाद दान करना बहुत आवश्यक है क्योंकि दान के बिना पूजा-पाठ का फल नहीं मिल पाता है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि दान जरूरतमंद को करें और सूर्य देव के निमित्त करें।
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सूर्य देव को आरोग्य का देवता माना जाता है। पौष माह में उनकी पूजा करने से व्यक्ति शारीरिक कष्टों, पुरानी बीमारियों और आंखों की समस्याओं से मुक्त होता है। सूर्य की उपासना व्यक्ति के शरीर को ऊर्जावान बनाती है।
सूर्य तेज, यश और मान-सम्मान के कारक ग्रह हैं। जो लोग पौष माह में नियमित पूजा करते हैं उन्हें समाज में उच्च स्थान, मान-प्रतिष्ठा और अपने कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। भाग्य का साथ मिलता है और सौभाग्य जागता है।
सूर्य को आत्मा का कारक भी माना जाता है। उनकी उपासना से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है, मन मजबूत होता है और वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहता है।
ज्योतिष के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर है या वह अशुभ फल दे रहा है तो पौष माह में सूर्य पूजा करने से उस ग्रह दोष का निवारण होता है और सूर्य शुभ फल देना शुरू कर देते हैं।
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