हिंदू धर्म में धार्मिक स्थलों से जुड़े कई सारे ऐसे रहस्य हैं, जिन्हें जानने के लिए लोग उन स्थानों पर जाकर भगवान के दर्शन करता है और उनसे जुड़ी चीजों को जानता है। अमरनाथ भी उस स्थान में से एक है। इस यात्रा को सावन का महीना शुरू होने से पहले आरंभ कर दी जाती है। वहां पहुंचने के लिए लोग जत्थे में जाते हैं। हर भक्त चाहता है कि वो बाबा बर्फनी के दर्शन करके अपनी मनोकामना को पूरा करे। वहीं उन 2 पक्षियों को भी देखना चाहता है जिन्होंने भगवान शिव से पूरी अमर कथा सुनी। आइए आपको बताते हैं इस कथा से जुड़ी बातें।
बाबा बर्फानी की अमर कथा
शिवपुराण की कथा में अमर कथा का वर्णन पूरे विस्तार के साथ किया गया है। साथ ही, अमरनाथ की कथा के रहस्य को भी वहां पर बताया गया है। एक बार की बात है माता पार्वती भगवान शिव से पूछने लगी क्या आप अजर-अमर हैं? लेकिन भगवान शिव ने उस समय उनके सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने कहा कि किसी को दोबारा पाने के लिए हमें हर बार जन्म लेना पड़ता है, लेकिन मुझे आपको पति के रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या क्यों करनी पड़ी। क्या आपको अमर होने का रहस्य पता है? भगवान शिव माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य नहीं बताना चाहते थे। लेकिन माता पार्वती अपनी बातों पर अडिग रहीं। ऐसे में भगवान शिव ने उनकी बातों को माना और अमरत्व कथा सुनाने लगे। लेकिन भगवन शिव चाहते थे कि इस कथा को कोई और न सुने। इसलिए उन्होंने अमरनाथ की गुफा को चुना। यह शांतिपूर्ण जगहों में से एक है। यहां पर एक महीने के लिए भक्तों का जयकारा सुनाई देता है। इसके बाद यहां पर रास्तों को भी बंद कर दिया जाता है।
भगवान शिव ने कथा से पहले किन तत्वों का किया त्याग
भगवान शिव ने माता पार्वती की बात मानकर कथा सुनाने के लिए अमरनाथ का रास्ता चुना। लेकिन वहां जानें से पहले उन्होंने पांच तत्व का त्याग किया। साथ ही, उस गुफा में नंदी, कार्तिकेय, गणेश या कोई अन्य पशु-पक्षी न आ पाए, इसलिए गुफा के चारों ओर आग जला दी। उसके बाद अमर कथा सुनानी शुरू की। जब भोलेनाथ माता पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे, तो उसी दौरान माता पार्वती आधी कथा के समय सो गईं। यह बात भगवान शिव को उस समय नहीं पता चली और वह कथा को सुनाते रहे। उसी समय वहां पर दो सफेद कबूतर गुफा में मौजूद थे। वह इस अमर कथा को सुन रहे थे और वे हुंकार भर रहे थे। भगवान शिव को लगा की माता पार्वती उनकी कथा को सुन रही हैं। जब कथा समाप्त हुई, तो भगवान भोलेनाथ ने देखा कि माता पार्वती तो सो रही हैं।
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माता पार्वती के सोने के बाद किसने सुनी अमर कथा
भगवान शिव की कथा अगर माता पार्वती ने नहीं सुनी तो किसने सुनी यह सवाल अक्सर मन में आता है। जब भगवान शिव ने चारों तरफ देखा तो वहां दो कबूतर मौजूद थे। तब भगवान शिव को गुस्सा आया, तो वे दोनों कबूतर उनसे क्षमा याचना करने लगे। साथ ही, उन्होंने महादेव से कहा कि अगर आपने हमें मार दिया तो आपकी सुनाई हुई कथा असत्य हो जाएगी। तब भगवान शिव ने कहा कि आज से तुम यहां अमरनाथ की गुफा में वास करोगे। तुम दोनों को शिव और शक्ति का प्रतिक चिन्ह माना जाएगा। उसके बाद से कबूतर का जोड़ा अमर हो गया। इस पूरी कथा के बाद से ही उस गुफा को अमरनाथ और इसे अमर कथा कहते हैं। लोगों की माने तो आज भी वो कबूतर का जोड़ा महादेव की पूजा के समय दिखाई देता है।
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