हिंदू धर्म में सभी तिथि को महत्वपूर्ण और खास माना गया है। वहीं रक्षाबंधन के बाद से ही भाद्रपद माह का आरंभ हो चुका है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि अजा एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही श्रीहरि की कृपा भी बनी रहती है। अब ऐसे में आज एकादशी है। इस दिन कि मुहूर्त में पूजा करें। साथ ही एकादशी तिथि का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
अजा एकादशी कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पहली एकादशी कृष्ण पक्ष में रखी जाती है।
- एकादशी तिथि का प्रारंभ 29 अगस्त को देर रात 01 बजकर 19 मिनट पर होगा ।
- इस तिथि का समापन 30 अगस्त को देर रात 01 बजकर 37 मिनट पर होगा।
- ऐसे में उदया तिथि के आधार पर भाद्रपद माह की पहली एकादशी तिथि यानी कि अजा एकादशी का व्रत 29 अगस्त को रखा जाएगा।
अजा एकादशी के दिन शुभ मुहूर्त कब है?
अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस दिन अगर आप श्रीहरि की पूजा करना चाहते हैं, तो सूर्योदय के बाद यानी कि सुबह 05 बजकर 58 मिनट से कर सकते हैं। इस समय से सिद्धि योग भी आरंभ हो जाएगा। बता दें, इस दिन राहुकाल दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 34 मिनट तक है। इस समय पूजा करने बचें। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 05 बजकर 13 मिनट तक है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक है।
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अजा एकादशी के दिन शुभ योग कब है?
अजा एकादशी के दिन कई शुभ योग बन रहे
- सिद्धि योग शाम सुबह 06 बजे से लेकर शाम 06 बजकर 18 मिनट तक है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 4 बजकर 39 मिनट से लेकर 30 अगस्त को सुबह 06 बजकर 08 मिनट तक है।
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अजा एकादशी का महत्व क्या है?
अजा एकादशी के दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन अजा एकादशी के दिन पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है। साथ ही अश्वमेघ यज्ञ के बराबर शुभ परिणाम मिलते हैं।
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Image Credit- HerZindagi
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