खाटू श्याम को क्यों कहते हैं शीश दानी?

खाटू श्याम बाबा को कलयुग के सबसे प्रसिद्ध भगवान के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि खाटू श्याम बाबा के दरबार में जो भी कोई अपनी मुराद लेकर जाता है उसकी सभी इच्छाएं अवश्य पूरी होती हैं।   

Khatu Shyam photo

खाटू श्याम बाबा को लेकर भक्तों में गहरी आस्था है। यूं तो खाटू श्याम बाबा का मुख्य प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान में है लेकिन देशभर के अन्य राज्यों में भी इनके कई मंदिर स्थापित हैं। खाटू श्याम बाबा को कलयुग के सबसे प्रसिद्ध भगवान के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि खाटू श्याम बाबा के दरबार में जो भी कोई अपनी मुराद लेकर जाता है उसकी सभी इच्छाएं अवश्य पूरी होती हैं। खाटू श्याम बाबा को लेकर एक बात जरूरी कही जाती है कि वह 'हारे का सहारा' हैं। इसके अलावा, खाटू श्याम बाबा को शीश दानी भी कहते हैं। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि आखिर क्यों खाटू श्याम भगवान को लेकर ऐसा बोला जाता है।

खाटू श्याम बाबा को क्यों कहते हैं शीश दानी?

Why is Khatu Shyam called Hare Ka Sahara

खाटू श्याम बाबाश्री राम के बाद ब्रह्मांड के दूसरे सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। खाटू श्याम को शीश दानी के नाम से भी जाना जाता है। इसके पीछे की पौराणिक कथा यह है कि जब बर्बरीक रूप में खाटू श्याम बाबा ने हारते हुए कौरवों का साथ देने की बात कही थी तब श्री कृष्ण ने उन्हें रोकना चाहा था।

श्री कृष्ण यह जानते थे कि बर्बरीक अगर कौरवों की ओर से लड़े तो कौरव सेना निश्चित ही जीत जाएगी और पांडवों के हिस्से पराजय आएगी। इसी कारण से जब कृष्ण उन्हें रोकने गए थे तब उन्होंने श्री कृष्ण से एक इच्छा जाहिर की थी जिसे श्री कृष्ण ने पूरा भी किया था।

श्री कृष्ण से बर्बरीक ने मांगा था कि वह महाभारत का पूरा युद्ध देखना चाहते हैं और इसके वह अपने शीश को जीवित रखना चाहते हैं। इसके बाद श्री कृष्ण ने उनके शीश को उनके धड़ से अलग करके एक वृक्ष पर टांग दिया था जहां से उन्होंने महाभारत का संपूर्ण युद्ध देखा था।

खाटू श्याम बाबा ही क्यों कहलाते हैं 'हारे का सहारा'?

What is the real name of Khatu Shyam Baba

पौराणिक कथा के अनुसार, खाटू श्याम बाबा असल में पांडू पुत्र भीम के पोते हैं और इनका मूल नाम बर्बरीक था। बर्बरीक जितने शक्तिशाली थे, उतने ही तपस्वी भी और अपनी तपस्या के बल पर ही उन्होंने यह वरदान प्राप्त किया था कि वह जिसके भी साथ हो गए उसे कभी कोई नहीं हरा सकता है।

बर्बरीक को यह वरदान था कि अगर कोई उनके पास सहायता के लिए आए तो वह न तो उसकी सहायता के लिए कभी मना करेंगे और न ही उसे हारने देंगे। इसी वरदान के कारण ही श्री कृष्ण ने बर्बरीक का शीश उनके धड़ से महाभारत काल के दौरान अलग कर दिया था ताकि वह उस युद्ध में भाग न ले सकें।

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हालांकि श्री कृष्ण ने उन्हें यह वरदान भी दिया था कि कलयुग में वह श्री कृष्ण के ही एक नाम श्याम से जाने जायेंगे और जो भी कोई खाटू श्याम की पूजा श्रद्धा से करेगा और उनकी शरण में जाएगा उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे और खाटू श्याम बाबा की कृपा उस व्यक्ति पर बनी रहेगी।

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर क्यों खाटू श्याम बाबा को हारे का सहारा माना जाता है और क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

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