शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है। बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इसे चढ़ाने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। माना जाता है कि बेलपत्र की तीनों पत्तियां भगवान शिव के त्रिशूल और त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का प्रतीक हैं। इसे चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह शिव पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है जो शांति और सकारात्मकता लाता है। साथ ही, ऐसा भी माना जाता है कि बेलपत्र में मां लक्ष्मी का वास होता है और इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से घर की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है।
घर में धन-धान्य की कभी कोई कमी नहीं रहती है, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि शिवलिंग के किस हिस्से पर बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि पूरे शिवलिंग पर कहीं भी बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए बल्कि शिवलिंग में भी कुछ जगहें हैं जहां बेलपत्र चढ़ाया जाता है और उसे बहुत शुभ एवं लाभकारी माना जाता है। तो चलिए जानते हैं कि शिवलिंग पर कहां बेलपत्र रखना चाहिए और कहां नहीं।
शिवलिंग के किस हिस्से में बेलपत्र चढ़ाएं और कहां नहीं?
मुख्य रूप से बेलपत्र शिवलिंग के ठीक ऊपर यानी उसके मध्य भाग पर चढ़ाया जाता है। यह भगवान शिव के मस्तक का प्रतिनिधित्व करता है। बेलपत्र की चिकनी सतह शिवलिंग को छूती हुई होनी चाहिए और डंठल आपकी ओर होना चाहिए।
शिवलिंग के नीचे का वह हिस्सा जिससे जल बहकर निकलता है उसे जलहरी कहते हैं। जलहरी पर भी बेलपत्र चढ़ाया जाता है। खासकर उस जगह जहां से गणेश जी का स्थान माना जाता है यानी कि शिवलिंग की जलहरी के दाहिनी ओर।
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शिवलिंग के बस इन्हीं दो भागों में बेलपत्र चढ़ाया जाता है। इसके अलावा, शिवलिंग पर और कहीं भी बेलपत्र नहीं रखना चाहिए। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि एक बेलपत्र नंदी की प्रतिमा पर भी अर्पित करें।
बिना नंदी पर बेलपत्र चढ़ाए शिवलिंग की पूजा का कभी भी पूरी नहीं मानी जाती है। नंदी महाराज पर बेलपत्र हमेशा उनके 2 सींघों के बीच रखना चाहिए। चूंकि यह भगवान शिव की प्रिय वास्तु है इसलिए कभी भी नंदी जी के पैरों की ओर इसे न रखें।
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कई लोग बेलपत्र को शिवलिंग के परकोटे में डाल देते हैं। परकोटा यानी कि वह हिस्सा जहां पूरा का पूरा शिवलिंग स्थापित है। लोग समझते हैं कि परकोटे में बेलपत्र डालना शिवलिंग पर चढ़ाने के बराबर है लेकिन यह गलत है इससे पूजा खंडित होती है।
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